- जिला परिषदों को सौंपी गई जिम्मेदारी, - 24 अक्टूबर तक स्कूलों को रंगने के निर्देश
दीपावली से पहले प्रदेश के सरकारी स्कूलों की सूरत निखारने की कवायद कागजों में कैद हो सकती है। राज्य सरकार ने स्कूलों में रंगरोगन कराने की जिम्मेदारी जिला परिषदों को सौंपी है, लेकिन स्थिति यह है कि स्कूलों में रंगरोगन कराने के लिए पेंटर ही नहीं मिल रहे। ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकांश मजदूर शहरों में काम पर चले गए हैं या फिर खेतों के कामों में व्यस्त हैं। ऐसे में तय समय सीमा के भीतर स्कूलों का रंगरोगन कराना नामुमकीन है।
शिक्षा विभाग ने पहले यह काम विद्यार्थी कल्याण कोष से कराने के निर्देश जारी किए थे, लेकिन कई स्कूलों में यह कोष उपलब्ध नहीं होने के कारण कार्य शुरू नहीं हो सका। अब विभाग ने यह दायित्व जिला परिषदों के कंधों पर डाल दिया है। ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग के शासन सचिव एवं आयुक्त डॉ. जोगाराम ने प्रदेश के सभी जिला परिषदों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों को निर्देश भेजे हैं कि पंचायती राज संस्थाओं के अधीन आने वाले सभी राजकीय विद्यालयों का रंगरोगन मध्यावधि अवकाश के दौरान 24 अक्टूबर तक करवा लिया जाए।
प्रत्येक विद्यालय पर एक लाख की मंजूरी
निर्देशों के अनुसार प्रत्येक विद्यालय के रंगरोगन पर अधिकतम एक लाख रुपए तक का खर्च स्वीकृत किया गया है। जिला परिषदों को यह भी सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं कि प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों का रंग निर्धारित कलर कोड के अनुरूप ही हो।
ग्राम पंचायतों को सौंपी जाएगी जिम्मेदारी
इसके लिए जिला शिक्षा अधिकारी (प्रारंभिक) से पंचायत संस्थाओं के अधीन विद्यालयों की सूची प्राप्त की जाएगी, ताकि ग्राम पंचायतों को यह स्पष्ट जानकारी मिल सके कि किन स्कूलों में रंगरोगन की आवश्यकता है। सरकार से मिले आदेशानुसार स्कूलों में रंगरोगन करवाने की प्रक्रिया शुरू की जा रही है, लेकिन ग्रामीण इलाकों में मजदूरों की अनुपलब्धता के कारण कार्य में विलंब हो रहा है।