- भीलवाड़ा सहित प्रदेशभर में बिना सुरक्षा इंतजाम दौड़ रही निजी बसें - न फिटनेस परमिट, न फायर सेफ्टी, न वेंटिलेशन- यात्रियों की जान भगवान भरोसे
जैसलमेर बस अग्निकांड को 40 घंटे बीत चुके हैं, लेकिन उससे सबक लेने के बजाए निजी ट्रैवल्स ऑपरेटर अब भी यात्रियों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं। भीलवाड़ा से दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद, सूरत, बड़ौदा और जोधपुर जैसे बड़े शहरों के लिए रोजाना दर्जनों बसें जाती हैं। इनमें सुरक्षा मानकों की खुलेआम अनदेखी हो रही है।
सुरक्षा के नाम पर सिर्फ दिखावा
ज्यादातर निजी बसों में आग बुझाने के उपकरण तक नहीं हैं। स्लीपर कोच में गैलेरी (रास्ता) महज पौने दो फीट की है। आग या हादसे की स्थिति में यात्री बाहर निकल ही नहीं सकते। बसों की छत पर कैरियर नहीं होना चाहिए, लेकिन ट्रैवल्स बसें छतों पर कपड़ों की गांठों व अन्य ज्वलनशील सामान से लदी दौड़ रही हैं। कई बार इन गांठों के साथ ऑयल या केमिकल जैसी वस्तुएं भी भेजी जाती हैं।
आपातकालीन द्वार भी नहीं खुलते
निजी ट्रैवल्स बसों में आपातकालीन द्वार या तो होते नहीं हैं या ऐसे बंद कर दिए जाते हैं कि वे समय पर खुलते नहीं। होटल लैंडमार्ग क्षेत्र में खड़ी दो बसों के आपातकाल गेट की जांच करने पर पाया गया कि उन्हें खोलने में काफी समय लगा। आपात स्थिति में यह लापरवाही यात्रियों की जान पर भारी पड़ सकती है। सबसे बड़ा खतरा एसी कोच बसों में है। कई बसों में बिना मानक के एसी सिस्टम लगाएए हैं। ट्रैवल्स संचालक खर्च बचाने के लिए घटिया वायरिंग का उपयोग करते हैं। इससे आग लगने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। हाल ही में कई हादसों में खराब वायरिंग ही आग का प्रमुख कारण बनी। निजी ट्रैवल्स की अनेक बसें बिना फिटनेस, परमिट के ही सड़कों पर दौड़ रही हैं। परिवहन विभाग और जिला प्रशासन द्वारा जांच या रोकथाम की कोई कोशिश नहीं की गई। जैसलमेर हादसे के बाद भी न कोई विशेष जांच अभियान चला और न ही सुरक्षा मानकों की सख्त समीक्षा की गई।
निगरानी में लापरवाही, नियमों का खुला उल्लंघन
परिवहन विभाग की ओर से न तो पर्याप्त निरीक्षण हो रहा है और न ही प्रवर्तन की सख्ती। ऑपरेटर नियमों की अनदेखी करते हुए यात्रियों की जान जोखिम में डाल रहे हैं। हालांकि एक बस में फायर सेफ्टी उपकरण लगा था, लेकिन बस में आग लगने की स्थिति में वह खुल तक नहीं सकता है। इस तरह उसे बांध रखा था। एक बस में तेल के दो टीन रखे गए थे, लेकिन जब चालक से पत्रिका टीम ने फायर सेफ्टी की जानकारी ली तो उसने बस में रखे तेल के टीन वापस नीचे उतारने के लिए कहा। एक निजी बस में तो डीजल से भरी कैन रखी थी। विशेषज्ञों का कहना है कि हादसों को रोकने के लिए जिला प्रशासन, यातायात पुलिस और परिवहन विभाग को संयुक्त रूप से अभियान चलाना चाहिए। हर बस की फिटनेस जांच अनिवार्य की जाए। फायर सेफ्टी उपकरण और आपातकालीन द्वार की स्थिति की नियमित जांच हो। सड़क पर बिना परमिट या सुरक्षा मानक की बस मिलने पर कड़ी कार्रवाई हो। टैक्स बचाने के लिए आंध्र प्रदेश, हरियाणा, मध्यप्रदेश, नागालैंड, असम परमिट की बसें भीलवाड़ा में दौड़ रही हैं। लेकिन परिवहन विभाग कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है।
सभी यात्री बसों की होगी जांच
जैसलमेर बस अग्निकांड के बाद परिवहन आयुक्त ने प्रदेश के सभी जिला परिवहन व इंस्पेक्टरों से यात्री बसों, स्लीपर कोच, एसी बस समेत सभी बसों की जांच के आदेश दिए हैं। इसके तहत बुधवार को अभियान की शुरूआत की है।
- आरके चौधरी, जिला परिवहन अधिकारी भीलवाड़ा