पूर्णिमा 6 अक्टूबर को रात 8 बजकर 41 मिनट पर शुरू होगी, और 7 अक्टूबर को शाम 4 बजकर 56 मिनट पर खत्म होगी।
शरद पूर्णिमा 6 अक्टूबर को मनाई जाएगी। पंचांग के अनुसार आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा 6 अक्टूबर को रात 8 बजकर 41 मिनट पर शुरू होगी, और 7 अक्टूबर को शाम 4 बजकर 56 मिनट पर खत्म होगी। व्रत 6 अक्टूबर को रखा जाएगा और रात को चन्द्रमा की रोशनी में खीर भी इसी दिन रखी जाएगी। पूर्णिमा के दिन चंद्र देव की पूजा का विधान है। इस दिन चंद्रोदय शाम को शाम 5 बजकर 20 मिनट पर होगा।
पंड़ित अशोक व्यास ने बताया कि सालभर की प्रत्येक पूर्णिमा का अपना अलग ही महत्व है तथा देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना से विशेष लाभ होता है। बारह पूर्णिमाओं में शरद पूर्णिमा को भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा के लिए खास माना जाता है। शरद पूर्णिमा पर चंद्र देव की पूजा बेहद फलदायी रहती है। वैदिक पंचांग के अनुसार अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन शरद पूर्णिमा व्रत का पालन भी किया जाता है। शरद पूर्णिमा के दिन चांद अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण रहता है और पृथ्वी पर अमृत बरसता है। लोग इस दिन पवित्र नदियों और सरोवरों में स्नान और जरूरतमंदों को दान देते है।
चन्द्रमा से बरसता है अमृत
व्यास ने बताया कि शरद पूर्णिमा का चंद्रमा आकार में बड़ा और औषधीय गुण प्रदान करने वाला माना गया है। इस दिन चंद्रमा की किरणों से अमृत बरसता है। शरद पूर्णिमा की रात चांद की रोशनी में खीर रखी जाती है। चंद्रमा की रोशनी में कुछ ऐसे तत्व मौजूद होते हैं जो हमारे शरीर और मन को शुद्ध कर सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करते हैं। ऐसी मान्यता है कि चंद्रमा की किरणों से खीर में अमृत जैसे औषधीय गुण आ जाते हैं। इस दिन दूध, चावल की खीर बनाकर, एक बर्तन में रखकर उसे जालीदार कपड़े से ढक्कर चांद की रोशनी में रखा जाता है। ब्रह्म मुहूर्त में श्रीविष्णु को खीर का भोग लगा कर प्रसाद के रूप में सेवन किया जाता है। शरद पूर्णिमा के दिन इस बार सोमवार का योग मिल रहा है। लिहाजा चंद्रदेव की पूजा का पूर्णिमा में विशेष महत्व रहता है और चंद्रमा अपनी 16 कलाओं में सम्पन्न रहता है। शरद पूर्णिमा को सभी मंदिरों में खीर का भोग लगा कर भगवान को अर्पण किया जाएगा।
हनुमान मंदिर में लगेगा 301 लीटर दूध की खीर का भोग
संकटमोचन हनुमान मंदिर पर शरद पूर्णिमा पर मंदिर के महंत बाबूगिरी के सानिध्य में हनुमानजी महाराज की प्रतिमा पर विशेष श्रृंगार के साथ मध्य रात्रि में विशेष आरती के बाद खीर प्रसाद का भोग लगाया जाएगा। भक्त शिवम शर्मा के सहयोग से 301 लीटर दूध की खीर तैयार की जाएगी। मंदिर ट्रस्ट के ट्रस्टी महावीर अग्रवाल, सांवरमल बंसल व रमेश बंसल ने बताया कि मध्यरात्रि 12 बजे आरती के बाद भोग लगा खीर का प्रसाद वितरित किया जाएगा।