कैसे होगा स्कूलों में बच्चों का ठहराव
सरकारी स्कूलों में नए शैक्षणिक सत्र का आधा माह बीतने को है, लेकिन शिक्षा का स्तर सुधारने वाले जिम्मेदार ही नहीं हैं। प्रदेश में करीब 42 प्रतिशत सरकारी स्कूलों में प्रिंसिपल के पद खाली पड़े हैं तो विभिन्न संवर्ग के करीब 1.25 लाख पद भी बाट जोह रहे हैं। सरकार स्कूलों में नए-विषय खोल रही है, लेकिन विषयों के शिक्षक ही नहीं हैं।
शिक्षा विभाग की जुलाई की रिपोर्ट के अनुसार कुल 3 लाख 70 हजार पदों में से करीब सवा लाख पद रिक्त हैं। सरकारी स्कूलों की कमान संभालने वाले प्रिंसिपल से लेकर निरीक्षण करने वाले अधिकारी भी पर्याप्त नहीं हैं। शिक्षा विभाग में करीब 35 विभिन्न संवर्ग हैं, कोई भी ऐसा नहीं जिनमें पद रिक्त नहीं हों। वरिष्ठ शिक्षकों के 25 हजार 396 खाली हैं। वहीं 23 हजार 280 सामान्य शिक्षकों के पदों पर नियुक्ति का इंतजार है।
यह है प्रमुख कारण
क्रमोन्नत में नहीं पद स्वीकृत : प्रदेश में पिछले तीन सत्र में क्रमोन्नत किए गए करीब 6 हजार उच्च माध्यमिक स्कूलों में व्याख्याताओं के पद स्वीकृत नहीं हुए। प्रति स्कूल 3-3 व्याख्याताओं के पद हैं।
चार सत्र से डीपीसी बकाया : पदोन्नतियों में वरिष्ठ अध्यापक से व्याख्याता संवर्ग की डीपीसी चार सत्र से बकाया है। वर्ष 2021-22, 2022-23, 2023-24 एवं 2024-25 की डीपीसी का इंतजार है। इसके कारण कई पद खाली पड़े हैं।
व्याख्याताओं का भी टोटा
सीनियर सैकंडरी स्कूलों में कला, वाणिज्य व विज्ञान के व्याख्याता पर्याप्त नहीं है। स्वीकृत 55017 पदों में से 12 हजार पद खाली हैं। वाइस प्रिंसिपल बनने वाले व्याख्याताओं के पद भी खाली हैं।
प्रिंसिपल व वाइस प्रिंसिपल ही नहीं
प्रदेश के 7 हजार स्कूल ऐसे हैं, जिसके संचालन के लिए प्रिंसिपल तक नहीं है। प्रिंसिपल के 7090 पद खाली पड़े हैं। वाइस प्रिंसिपल के 12 हजार पद एक जुलाई को खाली हुए। पदोन्नति के बाद वाइस प्रिंसिपल के 4700 पद भरे गए हैं, लेकिन 4700 पद और व्याख्याताओं के खाली हो गए।
माध्यमिक शिक्षा की यह है स्थिति
पदनाम स्वीकृत कार्यरत रिक्त