MP News: अध्ययन में 18 से 55 वर्ष के 57 पुरुषों को शामिल किया गया था।
MP News: तंबाकू सेवन से फेफड़ों और हृदय रोग ही नहीं बढ़ते बल्कि इससे पुरुषों की प्रजनन क्षमता भी प्रभावित हो रही है। एम्स भोपाल के फॉरेंसिक मेडिसिन और टॉक्सिकोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. राघवेंद्र कुमार विदुआ की रिसर्च में यह जानकारी सामने आयी है। शोध के अनुसार तंबाकू का सेवन पुरुषों के डीएनए को डैमेज करता है। इससे उनकी प्रजनन क्षमता कम होती है। इस अध्ययन में 18 से 55 वर्ष के 57 पुरुषों को शामिल किया गया था।
इनमें 28 तंबाकू सेवन करने वाले और 29 वे है जो नशा नहीं करते। अध्ययन में पाया गया कि तंबाकू से पुरुषों में शुक्राणुओं की जीवितता कम थी। यह अंतर सांख्यिकीय रूप से भी महत्वपूर्ण रहा। वहीं, स्पर्म की गतिशीलता भी तंबाकू खाने वालों में कम पाई गई। खास बात यह रही कि तंबाकू सेवन की अवधि जितनी लंबी रही, शुक्राणुओं की गुणवत्ता में गिरावट उतनी ही अधिक देखी गई।
शोध के अनुसार तंबाकू में मौजूद निकोटीन, कैडमियम, सीसा और अन्य विषैले रसायन अंडकोष में ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस पैदा करते हैं। इससे शुक्राणु की झिल्ली और डीएनए को नुकसान, हार्मोनल असंतुलन, टेस्टोस्टेरोन उत्पादन में कमी और स्पर्म की कार्यक्षमता घटने जैसी समस्याएं होती है। इसका असर प्राकृतिक गर्भधारण की संभावना घटने, गर्भपात के बढ़ते खतरे और भविष्य की संतान के स्वास्थ्य पर भी पड़ सकता है।
यह अध्ययन इसलिए भी अहम माना जा रहा है क्योंकि यह पोस्टमॉर्टम नमूनों पर आधारित है। इससे जीवित अवस्था में होने वाले भ्रमकारी कारकों- जैसे हाल की बीमारी, दवाओं का असर या सैंपल कलेक्शन की गलती का प्रभाव कम हो जाता है। और तंबाकू के दीर्घकालिक प्रभावों विदुआ का आकलन संभव हो पाता है।
डॉ. विदुआ को बुधवार धवार को किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी, लखनऊ में आयोजित इंडियन सोसाइटी ऑफ टॉक्सिकोलॉजी के 21वें राष्ट्रीय सम्मेलन 'टॉक्सोकॉन-21' में प्रतिष्ठित डॉ. आंद्रे बेस्ट फैकल्टी प्रेजेंटेशन अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। इसमें डॉ. संगीता मोइरंगथेम, सुश्री लीना लोखंडे और डॉ. अश्वनी टंडन शामिल है।