bhopal bada talab shrinking: राजधानी भोपाल की शान माने जाने वाले बड़ा तालाब का एक तरफ जहां मानसून में जलस्तर बढ़ा है। वहीं, एक रिपोर्ट में सामने आया कि तालाब की जलभराव क्षमता कम हुई है। यहां पढ़िए पूरी रिपोर्ट… (mp news)
(शिवाशीष तिवारी की रिपोर्ट)
mp news:राजधानी की जीवनरेखा बड़ा तालाब में मानसून में भले ही जलस्तर बढ़ गया है। और इसका फैलाव दूर-दूर तक दिख रहा है। लेकिन तालाब में बड़ी मात्रा में गाद और सीवेज के कारण यह धीरे-धीरे उथला होता जा रहा है। इससे इसके जलभराव की क्षमता में कमी आयी है। (bhopal bada talab shrinking)
बड़े तालाब में हर साल 1.71 अरब लीटर जलग्रहण क्षमता घट रही है। 2022 की एक स्टडी के मुताबिक अब तक तालाब की क्षमता करीब 25.90 अरब लीटर कम हो चुकी है। सबसे ज्यादा गाद तकिया टापू और वन विहार के बीच करीब तीन मीटर तक जमा हो चुकी है। वहीं बैरागढ़ और लहारपुर जैसे 50 से ज्यादा इलाकों में भी गाद की मोटी परत बन गई है। तालाब में जिन-जिन मुहानों से पानी आ रहा है, वहां अधिक गाद जमा हो रही है। (bhopal bada talab)
भोज वेटलैंड प्रोजेक्ट के दौरान अनुमान लगाया गया था कि यदि 2 मीटर गाद निकाल दी जाए, तो तालाब की क्षमता 40 करोड़ लीटर बढ़ सकती है। लेकिन इसके लिए 400 करोड़ रुपए खर्च करने होंगे। साथ ही इस काम में करीब 20 साल का समय लगेगा। (bhopal bada talab)
शहर के करीब 40 नालों का गंदा पानी सीधे तालाब में मिल रहा है। सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल की रिपोर्ट के अनुसार रोजाना 24.50 करोड़ लीटर अनट्रीटेड सीवेज तालाब में पहुंच रहा है। साल 1950 में तालाब के पानी की गुणवत्ता ए-कैटेगरी (बिना फिल्टर पीने लायक) से गिरकर सी-कैटेगरी तक पहुंच गई है। तालाब के आस-पास की करीब 9 लाख की आबादी इस तालाब के भरोसे हैं। यदि यही हाल रहा, तो जल्द ही यह डी-कैटेगरी में चला जाएगा।