MP News: अप्रेल में बाजार में जेनरिक कंपनियों और उनके ब्रांडों की संख्या दोगुनी हो गई है।
MP News: तेजी से फैल रहे डायबिटीज के मरीजों की संख्या बढ़कर मध्यप्रदेश में 11 लाख से अधिक हो गई है। हर दिन नए मरीज बढ़ रहे हैं। ऐसे में दावा बाजार भारतीय ब्रांडेड जेनेरिक कंपनियों की दवाओं से पट गया है। मधुमेह की एक ब्रांडेड दवा के पेटेंट समाप्त होने से दो महीने से भी कम समय में यह स्थिति बनी है। इसके बाद अप्रेल में बाजार में जेनरिक कंपनियों और उनके ब्रांडों की संख्या दोगुनी हो गई है।
उद्योग ट्रैकर और बाजार शोधकर्ता फार्माट्रैक के आंकड़ों के अनुसार अब बाजार में 37 भारतीय कंपनियों के लगभग 147 ब्रांड हैं। मार्च में 19 कंपनियां और सिर्फ 86 ब्रांड थे। डॉक्टर मधुमेह के मरीजों की संख्या बढ़ने के बीच एंटी-डायबिटिक दवाओं के पेटेंट समाप्त होने को रोगियों और चिकित्सकों के लिए अच्छा बता रहे हैं, क्योंकि इससे भारत में मधुमेह की दवाएं अधिक किफायती हो गई हैं। कुछ वर्ष पहले एपाग्लिलोज़िन एक एसजीएलटी-2 अवरोधक दवा के पेटेंट समाप्त होने के बाद लगभग 200 जेनेरिक ब्रांड बाजार में आ गए थे।
टाइप 2 मधुमेह वाले लोगों में ग्लूकोज नियंत्रण में सुधार के लिए उपयोग होने वाली जार्डिएंस ब्रांड नाम से बिकने वाली बोह्रिंजर इंगेलहेम की इनोवेटर दवा एपाग्लिलोजनि का पेटेंट मार्च के मध्य में समाप्त हो गया। फार्माट्रैक के अनुसार लगभग 150 ब्रांड और 40 कंपनियों ने एपाग्लिलोज़िन पेटेंट के अवसर में छलांग लगाई है और पिछले दो महीनों में बिक्री में भारी वृद्धि हुई है, आइपीएम (भारतीय दवा बाजार) में हर दवा कंपनियां इस अवसर का अधिकतम लाभ उठाने के लिए तत्पर हैं।
पिछले डेढ़ महीने में बाजार में जेनेरिक दवाइयां और किफायती हुई हैं और इनकी उपलब्धता भी बढ़ गई है। गरीबों के पहुंच के दायरे में आ गई हैं। सुगम चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाओं के लिए दवाईयों की सदैव उपलब्धता बहुत महत्त्वपूर्ण है। -डॉ. कुलदीप गुप्ता, कयुनिटी मेडिसिन विशेषज्ञ, गांधी मेडिकल कॉलेज, भोपाल