Bhopal Metro: मेट्रो ट्रेन प्रोजेक्ट की गुरुवार को एक साथ दो परीक्षाएं शुरू हुईं। यात्रियों के साथ ट्रेन चलाने यानी कमर्शियल रन को ग्रीन सिग्नल देने वाला कमिश्नर मेट्रो रेल सेटी (सीएमआरएस) निरीक्षण गुरुवार से शुरू हुआ। शुक्रवार को ट्रैक और स्टेशनों को देखा जाएगा। 15 नवंबर तक जांच होगी। इसके बाद तय होगा कि कमर्शियल रन को ग्रीन सिग्नल मिलेगा या नहीं।
Bhopal Metro: भोपाल मेट्रो ट्रेन प्रोजेक्ट की गुरुवार को एक साथ दो परीक्षाएं शुरू हुईं। यात्रियों के साथ ट्रेन चलाने यानी कमर्शियल रन को ग्रीन सिग्नल देने वाला कमिश्नर मेट्रो रेल सेटी (सीएमआरएस) निरीक्षण गुरुवार से शुरू हुआ। गुरुवार को ही यूरोपियन इन्वेस्टमेंट बैंक (ईआईबी) की टीम भी जांच के लिए पहुंची। कारपोरेशन की पूरी टीम को दो भागों में बांटा गया। एक टीम यूरोपियन बैंक टीम के साथ लगी, जबकि दूसरी सीएमआरएस के साथ रही।
गुरुवार सुबह से सुभाषनगर स्थित मेट्रो डिपो में निरीक्षण शुरू हुआ। डिपो के अंदर भी निरीक्षण हुआ। शुक्रवार को ट्रैक और स्टेशनों को देखा जाएगा। 15 नवंबर तक जांच होगी। इसके बाद तय होगा कि कमर्शियल रन को ग्रीन सिग्नल मिलेगा या नहीं। इसी तरह प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने के लिए यूरोपियन बैंक लोन की किस्त देगा या रोकेगा यह भी तय होगा। नए सीएमआरएस नीलाभ्र सेनगुप्ता ने निरीक्षण किया। पिछला निरीक्षण जनककुमार ने अपने रिटायरमेंट के पहले किया था।
कमिश्नर मेट्रो रेल सेटी की टीम शुक्रवार को सभी आठ स्टेशनों की जांच करेगी। पहले दिन बैठक, प्रजेंटेशन व कुछ निरीक्षण हुआ। कल एस से लेकर सुभाष स्टेशन की जांच होगी। अधूरे काम पर अफसरों को जवाब देना होगा। एस से डीआरएम तक स्टेशनों पर सामान खुले में है। सेंटिंग निकली हुई है। एंट्री-एग्जिट तैयार नहीं है। इसपर मेट्रो रेल कारपोरेशन के अफसर अपना पक्ष रख रहे हैं। यूरोपियन बैंक की टीम भी इस पर सवाल करेगी। अधूरे कामों को लेकर सीएमआरएस व यूरोपियन बैंक अफसरों को क्या कहना है? कैसे जवाब देना है। कारपोरेशन ने अपने अफसरों व कर्मचारियों को बकायदा ट्रेनिंग दी है।
गुरुवार से ही यूरोपियन इन्वेस्टमेंट बैंक की टीम प्रोजेक्ट की प्रगति की जांच करने भोपाल पहुंची। आधे अधूरे निर्माण से बैंक ने किस्त रोकी तो प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाना मुश्किल हो जाएगा। गौरतलब है कि मेट्रो प्रोजेक्ट में अलग-अलग कामों के लिए 32 ठेकेदार हैं। अधिकांश का भुगतान बाकी है।
ऑरेंज व ब्लू लाइन समेत अन्य कामों के लिए तय ठेकेदारों को 1500 करोड़ रुपए का भुगतान बकाया है। ब्लू लाइन के लिए सर्वे और निर्माण को संबंधित ठेका एजेंसियों ने फिलहाल धीमा कर दिया है।
मेट्रो ट्रेन प्रोजेक्ट में 2018 में ही यूरोपियन बैंक से लोन लेना तय है। इसमें एस से करोद तक ऑरेंज लाइन व भदभदा से रत्नागिरी तक दूसरी लाइन का काम पूरा करने राशि तय है। दावा था कि 2023 शुरुआत में पहली लाइन पर कमर्शियल रन शुरू होगा। 2027 तक 32 किमी की लाइन पर मेट्रो दौडऩे लगेगी। अब बैंक देरी का हिसाब मांग रही है।
मेट्रो प्रोजेक्ट की धीमी गति की स्थिति ये है कि बैंक लोन ही समय पर नहीं ले रहे हैं। 300 करोड़ रुपए की किस्त लेकर काम की गति बढ़ानी थी, लेकिन पूरे साल में 300 करोड़ का काम नहीं हुआ। राशि के लैप्स होने का खतरा बढ़ है। अभी तीन किस्त की पेंडेंसी है। काम की गति न बढ़ी तो राशि लैप्स हो जाएगी।
प्रोजेक्ट अब संचालन स्थिति में है, लेकिन इसे तैयार करने में सहयोगी रहे अफसर- इंजीनियरों में से 80 फीसदी ने कारपोरेशन छोड़ दिया है। 800 से अधिक कर्मचारियों की भर्ती हुई है।
सीएमआरएस ने अभी निरीक्षण किया है। टीम ने उनके सवालों का जवाब दिया है। 15 नवंबर तक निरीक्षण चलेगा। उसके बाद मंजूरी की प्रक्रिया होगी। - चैतन्य कृष्णा, एमडी, मेट्रो रेल कारपोरेशन