MP News: हैंडराइटिंग पर आइआइटी दिल्ली और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के एक सर्वे में खुलासा हो चुका है।
MP News: डिजिटल उपकरणों ने बच्चों की लिखने की क्षमता कमजोर कर दी है। यह शिकायत राजधानी के हर तीसरे बच्चे की है। भोपाल शहर के काउंसलिंग सेंटर में तीन माह में दो हजार बच्चे पहुंचे। इनमें से करीब 700 ने राइटिंग हैबिट में कमी की शिकायत दर्ज कराई। मध्यप्रदेश में परीक्षा फरवरी से शुरू होगी। तैयारी से जुड़ी परेशानियों के मामले भी बढ़े हैं। परीक्षा पैटर्न में बदलाव और सिलेबस से जुड़ी शिकायतों के समाधान के लिए राजधानी में काउंसलिंग लैब शुरू की गई है, जो अपने तरह की प्रदेश के एकमात्र लैब है। परीक्षा तनाव और सब्जेक्ट तैयारी के साथ परीक्षा पैटर्न पर परेशानी आई है।
हैंडराइटिंग पर आइआइटी दिल्ली और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के एक सर्वे में खुलासा हो चुका है। यह सर्वे जनवरी में किया गया था। हैंडराइटिंग-टू-थिंकिंग लिंक नाम के इस अध्ययन के मुताबिक इसमें पिछले दस सालों के आंकड़े जुटाए गए। रिपोर्ट के मुताबिक बच्चों में लेखन क्षमता में 40 प्रतिशत गिरावट आई है।
एआइ से सवालों के जवाब का असर कॉपियों पर देखने को मिला। हाल में खत्म हुई परीक्षा की कॉपियों पर बच्चों के अधूरे जवाब है। शिक्षकों ने बताया कि बहुत कुछ उन प्रॉम्प्ट की तरह हैं जो एआइ पर लिखे जाते हैं।
बीते एक दो साल में बिगड़ती राइटिंग हैबिट बच्चों की बड़ी समस्या सामने आई है। काउंसलिंग में बच्चे और अभिभावक शिकायत लेकर आए हैं। यह शिकायत 14 साल तक के बच्चों में ज्यादा है। गैजेट्स का ज्यादा इस्तेमाल इसका कारण है। प्रैक्टिस ही एक उपाय है। शबनम खान, काउंसलर और प्रभारी काउंलिंग लैब
किताब, कक्षा और शिक्षक पढ़ाई का सही तरीका है। डिजिटल उपकरणों से इसमें बाधा आई है। इसका असर तो है। तकनीक के साथ चलने के साथ सुधार की कोशिश की जाएगी। लेखन एक स्किल के रूप में डेवलप किया जाए। दामोदर जैन, पूर्व सदस्य एनसीइआरटी