Mothers Day Special: जब नौकरी के लिए कॉल आया, तो उनकी गोदी में 20 दिन का बेटा था। उस समय अगर हिम्मत हार जातीं, तो आज अपनी पहचान न बना पातीं। परिवार का सहयोग मिला और एक मां ने 20 दिन के बेटे को लेकर नौकरी शुरू की। मदर्स डे स्पेशल में पढ़ें इस मां की कहानी....।
Mothers Day Special: जब नौकरी के लिए कॉल आया, तो उनकी गोदी में 20 दिन का बेटा था। उस समय अगर हिम्मत हार जातीं, तो आज अपनी पहचान न बना पातीं। परिवार का सहयोग मिला और एक मां ने 20 दिन के बेटे को लेकर नौकरी शुरू की। जब कई महिलाएं हिम्मत हार जाती हैं और अपने करियर को छोड़ देती हैं, जब उन्होंने एक डॉक्टर के फर्ज के साथ मां होने का कर्तव्य भी निभाया। यह कहानी है भोपाल में संस्कृति संचालनालय में की डिप्टी डायरेक्टर के पद पर तैनात डॉ. पूजा शुक्ला की।
मैंने होम्योपैथिक डॉक्टर की पढ़ाई की है। पहली नौकरी लगी, उस समय गोद में 20 दिन का बेटा था। आयुष विभाग में जॉब थी। सरकारी नौकरी में प्रावधान है कि नौकरी के बाद बच्चा होता है, तो आपको मेटरनिटी लीव मिलती है, लेकिन अगर बच्चा होने के बाद नौकरी लगती है, तो छुट्टी नहीं मिलती। इस कारण 20 दिन के बेटे को लेकर मैंने जॉब की शुरुआत की।
कई महिलाओं को मैंने देखा है, जो बच्चा होने के बाद अपना कॅरियर छोड़ देती हैं। मुझे लगता है कि ऐसा नहीं करना चाहिए। अगर आप अपने काम के प्रति समर्पित हैं, तो आपको सहयोग करने वाले लोग भी मिलते हैं। अगर आप कॅरियर से समझौता करती हैं, तो जब बच्चा बड़ा हो जाएगा, तब आपको यह खलेगा कि उस समय आपने अपनी जॉब क्यों नहीं की। तीन-चार साल थोड़ी एक्सट्रा मेहनत कर लें, फिर सब आसान हो जाएगा। अब मेरा बेटा 16 साल का है, वह मुझे पूरा सहयोग करता है।
छोटे बच्चे को मां की जरूरत हर पल होती है और मैं अपनी जॉब पर जा रही थी। मेरे पति और मां ने बहुत सहयोग किया। कभी काम होता तो बच्चे को लेकर ड्यूटी में जाना पड़ता। इन चुनौतियों से लड़कर ही आज मैं यहां पहुंची हूं। आयुष के बाद पुरातत्व विभाग में ज्वाइंट डायरेक्टर रहीं। अब संस्कृति संचालनायक में डिप्टी डायरेक्टर के पद पर हूं।
सोच यह: मजबूत इच्छा शक्ति आपको सफलता की ओर ले जाती है। कई बार इसमें चुनौतियां आती हैं लेकिन उनसे लड़कर ही जीत मिलती है।