
Santoor player Shruti Adhikari Santoor player Shruti Adhikari (Photo Source: instagram account )
(श्रुति अधिकारी, संतूर वादक…) जो भी काम करना है, उसे पूरी तन्मयता के साथ करो। संगीत सीख रहे हो, तो उसे हर पल सीखते रहो, केवल कुछ डिग्रियां हासिल करना ही काफी नहीं होता। यह ऐसी कला है, जिसकी शिक्षा कभी पूरी नहीं होती। निरंतर अभ्यास जरूरी है। मेरा मानना है, अपने सपनों को हर पल जियो, उसमें डूब जाओ, अपने पंख फैलाओ और फिर देखो पूरा आसमान ही तुम्हारा है।
श्रुति अधिकारी, संतूर वादक बताती है कि बचपन से ही मैंने संगीत साधना शुरू कर दी थी। घर में संगीत का माहौल भी था। नाना जी, मां और पापा संगीत से जुड़े थे, तो वही बीज मेरे अंदर भी पल रहा था। जब मैं पांच साल की थी, तो गायन भी सीखा। संगीत की विद्याओं की परीक्षाएं देते हुए अपनी सीखने की प्रक्रिया जारी रखी।
जब मैं पांचवी या छठवीं में थी, तो मां के साथ भोपाल में एक कन्सर्ट में गई, वहां पंडित शिवकुमार शर्मा का संतूर सुना आई को मां से संतूर सीखने की जिद की। मां ने कहा-पढ़ाई पूरी करो। संतूर मेरे दिमाग में बस गया था। हर दो-तीन दिन में मां से कहती कि पंडित जी से संतूर सीखना है। जब नौंवी में आई, तो मप्र सरकार की दुर्लभ वाद्य सीखने की स्कॉलरशिप निकली थी। मैंने भी आवेदन किया और स्कॉलरशिप मुझे मिली।
मां ने पंडित शिवकुमार शर्मा से बात की। मैं उनके पास मुंबई सीखने गई। गुरुजी जब भी वह मुंबई रहते थे, मैं वहां पहुंच जाती थी और सीखती थी। उनसे कई वर्षों तक संतूर वादन सीखा और आज एक परिपक्व संतूर वादक हूं। (जैसा कि रिपोर्टर ऋतु सक्सेना को बताया…)
1986-1987 में ग्वालियर नगर पालिका का शताब्दी समारोह था। उसमें तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह भी आए थे। वहां पर पहली बार मैंने संतूर बजाया था। अब तक कई देशों में प्रस्तुतियां दे चुकी हूं। भारत में आयोजित जी 20 में सभी राष्ट्राध्यक्षों और अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड जे ट्रम्प की भारत यात्रा के अवसर पर भी संतूर प्रस्तुति दी। इसके अलावा लंदन, दुबई, बहरीन में प्रस्तुति दे चुकी हूं।
वर्ष 2006 में हमने मप्र का शास्त्रीय संगीत का पहला महिला केंद्रित म्यूजिक बैंड पंचनाद बनाया। इसमें वाद्ययंत्र केवल महिलाएं बजाती हैं और हम केवल शास्त्रीय संगीत ही बजाते हैं। एक शास्त्रीय संगीत बैंड के रूप में पहचान बनाना मुश्किल है। इसमें हम पांच वाद्ययंत्र संतूर, तबला, पखावज, सितार और एक और वाद्ययंत्र (सारंगी, वायलिन, हरमोनियम या बासुरी) बजाते हैं।
Updated on:
30 Dec 2025 04:12 pm
Published on:
30 Dec 2025 03:37 pm
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