भोपाल

ऑफलाइन दफ्तर चला रहे मंत्रियों की खैर नहीं, ई-ऑफिस फॉर्म में नहीं, तो होगा एक्शन

E Office System MP: मध्य प्रदेश के ज्यादातर अफसर अब भी ऑफलाइन कर रहे काम, लेकिन अब नहीं अपनाया ई ऑफिस सिस्टम तो होगा एक्शन...

3 min read
Aug 26, 2025
E Office System MP: एमपी के मंत्रियों, कलेक्टर और कर्मचारियों को चेतावनी.(फोटो: सोशल मीडिया)

MP News: आम जनता को सहूलियत देने और प्रदेश के विकास की गति को बढ़ाने के लिए वर्षों से चल रही ई-ऑफिस की कवायद के बीच ज्यादातर माननीयों के लिए अफसर अभी भी ऑफलाइन फाइलें दौड़ा रहे हैं। कई मंत्रियों के यहां गिनी-चुनी फाइलों को छोड़ ज्यादातर फाइलें ऑफलाइन चल रही हैं। दूसरी तरफ मंत्रालय में मुख्य सचिव, सभी अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, सचिव और विभागाध्यक्ष कार्यालय लगभग ई-ऑफिस पर शिफ्ट हो चुके हैं। कलेक्टरों के लिए भी सख्त निर्देश है कि वे ई-ऑफिस को अपना लें। ऐसा नहीं करने वालों को कार्रवाई के दायरे में लिया जाएगा।

मंत्रियों (MP Ministers) के लिए कुछ परेशानी उनके दफ्तरों में ई-ऑफिस के लिए दक्ष कर्मचारियों की कमी भी है। हालांकि मंत्रालय व जिलों के लिए कुछ माह पूर्व तकनीकी रूप से दक्ष मैनपावर टीम गठित करने के निर्देश दिए थे।

ये भी पढ़ें

अब डॉक्टर, इंजीनियर नहीं, वकील बनना चाहते हैं युवा, 15 साल में बदली करियर प्रायोरिटी

लेकिन ई-ऑफिस पर शिफ्ट तो होना पड़ेगा

विशेषज्ञों की मानें तो चुनौतियां अपनी जगह है लेकिन ई-ऑफिस सबसे बड़ी जरूरत है, जिसे काफी पहले अमल में लाया जाना चाहिए था, क्योंकि केंद्र सरकार का ज्यादातर काम ई-ऑफिस पर हो रहा है तो, कई कार्पोरेट कंपनियां व उपक्रम भी पूरी तरह ई-ऑफिस (e office system) से काम कर रहे हैं। ऐसे में कुछ विभागों व मंत्रियों द्वारा ऑफलाइन काम करना या कराना, मुश्किलों भरा हो सकता है।

ई-ऑफिस पर शिफ्ट हुए तो विकास को मिलेगी गति

प्रशासनिक स्तर पर ई-ऑफिस को अपनाने से कई स्तरों पर सुधार महसूस किए जा रहे हैं। फाइलों का मूवमेंट पहले से बढ़ना बताया जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि यह शुरुआत सबसे ऊपर स्तर से हो तो नीचे अपने-आप सिस्टम सुधार जाएगा। जब एक बार प्रदेश में सभी कार्यालय ई-ऑफिस के जरिए काम करने लगेंगे तो आम जनता को बड़ा लाभ होगा, उनके काम समय पर होंगे। पारदर्शिता तो आएगी ही, प्रदेश के विकास में भी गति मिलेगी।

तबादलों का अनुशंसा पत्र ऑनलाइन करना था, लेकिन नहीं किया

तबादला नीति 2025 में तय किया था कि प्रत्येक मंत्री तबादलों के लिए की जाने वाली अनुशंसा ऑनलाइन जारी करेंगे, ताकि किसका तबादला कहां और क्यों किया जा रहा, इसका रिकॉर्ड आसानी से उपलब्ध हो सके। सूत्रों के मुताबिक ज्यादातर मंत्रियों के कार्यालयों से इसका पालन ही नहीं हुआ। इसके पीछे कुछ मंत्रियों के दफ्तर में पदस्थ अधिकारी-कर्मचारी भी जिम्मेदार बताए जाते हैं, जोकि स्वयं ही फाइलों को ऑनलाइन चलाने की जगह ऑफलाइन चलाने में ज्यादा रुचि लेते हैं।

मंत्रियों के लिए चुनौतियां

अधिकांश मंत्री आधुनिक तकनीक से दूर है। सूत्रों के मुताबिक कार्य व्यवहार में फाइलों पर मैनुअली काम करना ज्यादा पसंद करते हैं। यदि मंत्रियों के कार्यालयों को पूरी तरह ई-ऑफिस पर शिफ्ट किया जाता है तो सभी के लिए अमल करना जरुरी हो जाएगा। सूत्रों की मुताबिक यदि मंत्री चाहेंगे तो ही बात आगे बढ़ेगी। हालांकि जिस तरह विभाग ई-ऑफिस पर शिफ्ट हो रहे हैं, यदि उसी तरह मंत्रियों के कार्यालय भी पूरी तरह ई-ऑफिस पर लाए जाते हैं तो ऐसी स्थिति में मंत्रियों के लिए भी तकनीकी रूप से दक्ष अमले की जरुरत होगी, जो कि अभी नहीं है।

समय के साथ पैसा भी खर्च

कैबिनेट बैठक सप्ताह में प्रत्येक मंगलवार होती है, जिसमें लाए जाने वाले प्रस्तावों का ब्यौरा प्रत्येक मंत्रियों को उपलब्ध कराना होता है। यह काम बहुत कम समय में गोपनीय तरीके से किया जाता है। सूत्रों के मुताबिक यह फोल्डर तैयार करना, उसे प्रिंट कराना, मंत्रियों के बंगले तक पहुंचाना, इसमें समय के साथ-साथ राशि भी खर्च होती है। मैनपावर अलग लगता है।

सूत्र बताते हैं कि सरकार जिन विषयों को गोपनीय रखना चाहती है, वे भी कई हाथों से होकर गुजरते हैं। इन चुनौतियों के बावजूद कैबिनेट बैठक को लेकर की जाने वाली तमाम तैयारियां ई-ऑफिस के जरिए शुरू नहीं हुई। हां कुछ मंत्री के दफ्तर से जरूर फाइलें ऑनलाइन चल रही हैं लेकिन इनकी संख्या काफी कम है। दफ्तर के अफसर और कर्मचारी भी ई-ऑफिस बनाने को लेकर ज्यादा उत्साहित नहीं दिखते। इन हालातों में कुछ फाइलों को ऑनलाइन भेजने का कोरम पूरा किया जाता है।

ई-ऑफिस के ये भी फायदें

ई-ऑफिस के जरिए एक बार मंत्रियों के कार्यालय से फाइलों पर निर्णय हो गया तो अफसर बीच में अटका नहीं सकेंगे।

बल्कि ऐसी फाइलों का तय समय में निराकरण करना होगा। इसका फायदा उन लोगों को, क्षेत्रों को होगा, जो उक्त फाइलों से जुड़े हुए होंगे।

यदि मंत्री के कार्यालय से एक बार फाइल चल गई तो फिर बीच में राजनीतिक व प्रशासनिक दबावों का असर नहीं पड़ेगा। मैनुअली चलने वाली फाइलों में इसकी आशंकाएं रहती है।

ई-ऑफिस के जरिए चलाई फाइलों का मूवमेंट तेज होगा। रुपयों की बर्बादी और मैनपावर की बचत होगी।

संबंधित मंत्री भी प्रत्येक फाइलों पर विभागों के अफसरों की जिम्मेदारियां तय कर सकेंगे।

ये भी पढ़ें

जस्टिस आलोक अराधे का सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर, जानें एमपी से क्या है कनेक्शन

Published on:
26 Aug 2025 12:49 pm
Also Read
View All

अगली खबर