Independence Day 2025: आओ बच्चो तुहें दिखाएं झांकी हिन्दुस्तान की... इस मिट्टी से तिलक करो, यह मिट्टी है बलिदान की... कवि प्रदीप का लिखा यह गीत शहर के नारायण व्यास के लिए एक प्रेरणास्रोत बन गया और इससे प्रेरित होकर उन्होंने आजादी के दीवानों के जन्म स्थल और शहीद स्थलों की मिट्टी संग्रह करना शुरू कर दिया।
Independence Day 2025: आओ बच्चो तुहें दिखाएं झांकी हिन्दुस्तान की... इस मिट्टी से तिलक करो, यह मिट्टी है बलिदान की... कवि प्रदीप का लिखा यह गीत राजधानी भोपाल के नारायण व्यास के लिए एक प्रेरणास्रोत बन गया और इससे प्रेरित होकर उन्होंने आजादी के दीवानों के जन्म स्थल और शहीद स्थलों की मिट्टी संग्रह करना शुरू कर दिया। आज से पांच साल पहले मिट्टी संग्रह का यह अनोखा कार्य उन्होंने शुरु किया था और अब तक वह ऐसे 150 स्थलों की मिट्टी का संग्रह कर चुके हैं।
नारायण व्यास ने बताया कि कोरोना की दूसरी लहर में मुझे कोरोना हो गया। तब बेटी के पास इंदौर में था। अस्पताल में एडमिट था, तो उस समय देशभक्ति के गाने सुनकर मन को बहलाया करता था, उसी समय कवि प्रदीप का गाना सुना। उस गाने ने कुछ ऐसा असर डाला कि निश्चित किया कि ऐसे स्थलों की मिट्टी को नमन करना है। इंदौर के एमवाय अस्पताल के पास ही राणा बतावर सिंह का स्मारक है। वहां गया और नमन कर वहां की थोड़ी मिट्टी अपने साथ ले ली। बस सिलसिला चल पड़ा। उनके पास रानी लक्ष्मीबाई के समाधि स्थल, आजाद के जन्मस्थल, सुभाष चंद्र बोस के जन्मस्थल, जलियाबाला बाग सहित कई जगहों की मिट्टी का संग्रह है।
वे कहते हैं कि जब किसी क्रांतिकारी के शहीद स्थल या जन्म स्थान पर जाते, तो वहां की मिट्टी जरूर लाते। इस मिट्टी को अलग-अलग डिब्बियों में भरकर लेवल लगाकर संजोते। नारायण व्यास ने बताया कि मेरे कई दोस्त हैं, जिन्होंने भी मुझे इन स्थलों की मिट्टी भेजी है। बनारस से दोस्त आए, तो मदन मोहन मालवीय की समाधि की मिट्टी लाए। कटक से सुभाष चंद्र बोस के जन्मस्थान की मिट्टी मेरे दोस्त ने भेजी।