MP News: ई-वेस्ट को खुले में फेंकने या कबाड़ी को बेचने वालों पर 3 लाख तक की पेनाल्टी या एक साल की सजा प्रावधान है।
MP News: देश का पहला ई-वेस्ट क्लिनिक पांच साल पहले भोपाल में खुला था, लेकिन नगर निगम और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड अफसरों की लापरवाही की वजह से यह क्लिनिक आज खुद कचरा घर बन गया है। शहर में हर साल 437 मीट्रिक टन ई-कचरा निकल रहा है। यह मात्रा हर साल 12-15 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है। इसमें 200 टन प्रतिबंधित प्लास्टिक शामिल है। ई-वेस्ट का डिजिटल डंपिग ग्राउंड बन गया है।
ई-वेस्ट को खुले में फेंकने या कबाड़ी को बेचने वालों पर 3 लाख तक की पेनाल्टी या एक साल की सजा प्रावधान है। लेकिन ई-वेस्ट मैनेजमेंट रैगपिकर्स अपलिफ्टमेंट प्रोजेक्ट द्वारा कराए गए सर्वे में सामने आया है कि शहर की 86 फीसदी आबादी को ई-वेस्ट के नियमों की जानकारी नहीं है।
नगर निगम की कचरा गाडिय़ों में ई-वेस्ट के लिए अलग से बाक्स बनाए गए हैं, लेकिन लोग इन गाडिय़ों के बाक्स में ई-कचरा नहीं डालते। जबकि लोग टीवी, सेलफोन व अन्य इलेक्ट्रानिक उत्पाद खुले में फेंक रहे हैं या कबाडिय़ों को बेच देते हैं।
स्वच्छता समाधान केंद्र के तौर पर एक अनोखे कचरा कैफे की शुरुआत की है। यह दस नंबर मार्केट की फुलवारी, बिट्टन मार्केट और बोट क्लब पर बनाया गया है। यहां प्लास्टिक, कागज, इलेक्ट्रानिक कचरे के बदले भोजन या खानपान और दैनिक उपयोग का सामान मिलता है। इसके बदले नकदी लेना चाहे तो यह कैफे बाजार दर से पांच रुपए अधिक कीमत देकर उसे खरीदा जाता है। कैफे की आरआरआर मोबाइल वैन घर पर जाकर कचरा भी खरीदेगी।
भोपाल को देश का दूसरा सबसे स्वच्छ शहर होने का सम्मान हासिल है। ई-कचरा क्लिनिक और कचरा कैफे जैसे नवाचारों और निगम कर्मियों की स्वच्छता के प्रति प्रतिबद्धता के चलते हमें ये उपलब्धी प्राप्त हुई है। इन रचनात्मक प्रयोगों में जो भी कमियां होंगी। हरेंद्र नारायण, आयुक्त, नगर निगम