Bhopal City Night Culture: इंदौर समेत अन्य राज्यों के बड़े शहरों में नाइट लाइफ कल्चर तेजी से बढ़ रही है। राजधानी भोपाल के बाजार भी त्योहारी सीजन में गुलजार हैं लेकिन...
Bhopal City Night Culture: त्योहार का सीजन है। राजधानी के बाजार गुलजार हैं। लेकिन, महिलाओं को रात 10 बजने के पहले ही घर पहुंचने की जल्दी होती है, क्योंकि देर रात घर पहुंचने में खुद को असुरक्षित समझती हैं। यह स्थिति राजधानी की है। जबकि इंदौर समेत अन्य राज्यों के बड़े शहरों में नाइट लाइफ कल्चर तेजी से बढ़ रही है। महिलाओं में डर की सबसे बड़ी वजह सड़कों पर पसरा अंधेरा है। इसका फायदा उठाकर अपराधी भी सक्रिय हो जाते हैं। दूसरी बड़ी वजह सार्वजनिक वाहनों की अनुपलब्धता भी है। इसलिए करीब 80 प्रतिशत महिलाएं रात 10 बजे के बाद घर से बाहर निकलना नहीं चाहतीं।
पुलिस ने बीते साल शहर (Bhopal City) में 125 ’डार्क हब्स’ यानी ऐसे इलाके चिन्हित किए हैं, जहां स्ट्रीट लाइट या तो खराब हैं या हैं ही नहीं। ये स्थान आपराधिक गतिविधियों और महिलाओं के खिलाफ अपराधों के लिए संवेदनशील माने जाते हैं। यह स्थितियां सीधे तौर पर नाइट कल्चर में बाधक हैं।
नेशनल क्राइम रेकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट के अनुसार भोपाल महिला अपराध के मामलों में प्रदेश में सबसे आगे है। 2022 की तुलना में 2023 में भोपाल में छेड़छाड़ के मामलों में 12 फीसदी की तेजी दर्ज की गई है।
नगर निगम, पीडब्ल्यूडी, स्मार्ट सिटी, बीडीए और बिजली विभाग की करीब पांच हजार से अधिक स्ट्रीट लाइट्स राजधानी में खराब पड़ी हैं, इसलिए करीब एक-तिहाई लोग रात में अकेले में चलने में खुद को सुरक्षित महसूस नहीं करते हैं।
राज्य सरकार ने मप्र के बड़े शहरों में नाइट कल्चर यानी रात की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए मंजूरी दे दी है। रात की संस्कृति यानी देर रात तक बाजार खुले और वहां लोग खरीदारी करें। ऐसे लोग जो नाइट शिफ्ट में काम करते हैं उनके लिए रेस्टोरेंट और शॉपिंग की दुकानें खुली रहें। इंदौर में इसकी शुरुआत हो चुकी है। जल्द ही श्रम विभाग इस संबंध में अधिसूचना जारी करेगी। मुख्यमंत्री की इसकी अनुमति मिल चुकी है।
मैनिट के सेफ्टी एनालिसिस रिपोर्ट में भोपाल के समग्र सुरक्षा स्कोर को ’औसत’ रेटिंग दी गई है। रिपोर्ट के अनुसार अधिकांश हिस्सों में कम रोशनी, भीड़ की कमी और कम महिला भागीदारी जैसे मापदंड राजधानी बहुत पीछे है।
राजधानी को ’सिटी ऑफ लेक्स’ से ’सिटी ऑफ सेफ्टी’ बनाने के लिए पुलिस और नगर निगम को मिलकर काम करना होगा। तभी शहर का नाम देश के सुरक्षित शहरों में शामिल हो सकेगा।
-शबिस्ता जकी, नेता प्रतिपक्ष, नगर निगम
शहर में नाइट कल्चर बढ़े इसका स्वागत है। लेकिन, जब तक सार्वजनिक स्थानों पर पर्याप्त पुलिस गश्त, रोशनी और महिला सहभागिता नहीं बढ़ेगी, तब तक असुरक्षा की यह भावना कायम रहेगी।
- डॉ.अर्शी पाराशर, प्रोफेसर, मैनिट
महिला सुरक्षा हमारी पहली प्राथमिकता है। त्योहारों में गश्त बढ़ाई गई है और अंधेरे इलाकों में प्रभावी सुरक्षा के लिए कदम उठाए गए हैं।
-हरिनारायणचारी मिश्र, पुलिस कमिश्नर
राजधानी की स्ट्रीट लाइट्स जल्द सुधारी जाएंगी। इसके लिए संसाधनों को जुटाकर योजनाबद्ध तरीके से काम शुरू होगा, ताकि सुरक्षा और बुनियादी ढांचा बेहतर हो सके।
-संस्कृति जैन, आयुक्त, नगर निगम