Tiger State MP : मध्य प्रदेश के अंतर्गत आने वाले 6 टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्रों में क्षमता से अधिक बाघ हो चुके हैं। विभाग द्वारा बफर क्षेत्र को विकसित किया जाएगा। टाइगर रिजर्वों का क्षेत्रफल बढ़ाना मुश्किल है। इसलिए कोर क्षेत्रों को विकसित किया जाएगा।
Tiger State MP : टाइगर स्टेट यानी मध्य प्रदेश में बाघों का कुनबा लगातार बढ़ रहा है। बांधवगढ़, कान्हा, डॉ. विष्णु वाकणकर, सतपुड़ा और पेंच टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र में सबसे ज्यादा बाघ दिख रहे हैं। जिस गति से बाघों की आबादी बढ़ रही है, उस हिसाब से तैयारी नहीं है। विशेषज्ञों का कहना है कि, 'आने वाले समय में रिजर्व का क्षेत्रफल उनके लिए कम पड़ेगा।' ऐसी संभावित चुनौतियों को देखते हुए विभाग ने ऐसे रिजर्वों के बफर जोन को अनुकूल और सुरक्षित बनाने का फैसला लिया है। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है, ये स्थाई समाधान नहीं है। रिजर्वों के मौजूदा क्षेत्रफल में वृद्धि करनी होगी।
सिर्फ बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व का कुल क्षेत्रफल 1536.938 वर्ग किमी है। यहां 160 से 178 बाघ हैं। अफसरों की मानें तो इनमें से करीब 100 बाघ कोर क्षेत्र (716.903 वर्ग किमी) में रह रहे हैं। वन्यप्राणी विशेषज्ञ डॉ. अनिरुद्ध मजूमदार बताते हैं, एक मादा बाघ अधिकतम 20 और न्यूनतम 15 वर्ग कि.मी दायरे में टेरेटरी बनाने की क्षमता रखती है।
एक नर बाघ न्यूनतम 50 और अधिकतम 100 वर्ग कि.मी तक टेरेटरी बना सकता है। ऐसे में बांधवगढ़ के कोर क्षेत्र में पाए जाने वाले 100 में से हर बाघ के लिए कम से कम 20 वर्ग किमी टेरेटरी को भी आधार बनाएं तो 100 बाघों के लिए 2000 वर्ग किमी का क्षेत्रफल चाहिए। लेकिन बांधवगढ़ के पास 716.903 वर्ग किमी ही है। कमोबेश ऐसी ही हालत कान्हा, पेंच, सतपुड़ा, डॉ. विष्णु वाकणकर और पन्ना टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्रों में है।
-शाकाहारी वन्य जीवों की संख्या बढ़ाना, घास के मैदान तैयार करना, पानी का इंतजाम किया जाएगा।
-आबादी और वन्य जीव सीमा के बीच तार या जालीदार फैंसिंग की व्यवस्था की जाएगी।
-हाथियों की संख्या बढ़ाना, ताकि बाघ रिहायशी क्षेत्रों की ओर बढ़े तो उन्हें नियंत्रित करना आसान हो।
-वन्य प्राणियों से मवेशियों की मौत और जानमाल के नुकसान को कम करने की व्यवस्था की जाएगी।
-निगरानी के लिए ट्रैप कैमरों के प्वाइंट बढ़ाए जाएंगे। साथ ही, सुरक्षा निगरानी के लिए जगह जगह टॉवर लगाए जाएंगे।
-रिजर्व से लगे गांवों में बाघ और अन्य वन्य जीवों के प्रति जन जागरुकता पैदा की जाएगी।
-इन सब व्यवस्थाओं के बावजूद भी अगर कोऊ नुकसान होता है तो कम से कम समय में भरपाई करने की व्यवस्था की जाएगी।
-बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में 716.903 वर्ग किलोमीटर का कोर एरिया है। जबकि, 820.035 वर्ग किलोमीटर एरिया बफर जोन में है। इस तरह यहां का कुल क्षेत्र 1536.938 वर्ग किलोमीटर है। जबकि, इस पूरे क्षेत्र में करीब 178 बाघ निवास करते हैं।
-कान्हा नेशनल पार्क एवं टाइगर रिजर्व में 917.43 वर्ग किलोमीटर का कोर एरिया है। जबकि, 1134.31 वर्ग किलोमीटर एरिया बफर जोन में है। इस तरह यहां का कुल क्षेत्र 2051.74 वर्ग किलोमीटर है। जबकि, इस पूरे क्षेत्र में करीब 155 बाघ निवास करते हैं।
-पेंच टाइगर रिजर्व में 411.330 वर्ग किलोमीटर का कोर एरिया है। जबकि, 768.302 वर्ग किलोमीटर एरिया बफर जोन में है। इस तरह यहां का कुल क्षेत्र 1179.302 वर्ग किलोमीटर है। जबकि, इस पूरे क्षेत्र में करीब 88 बाघ निवास करते हैं।
-सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में 1339.26 वर्ग किलोमीटर का कोर एरिया है। जबकि, 794.04 वर्ग किलोमीटर एरिया बफर जोन में है। इस तरह यहां का कुल क्षेत्र 2133.30 वर्ग किलोमीटर है। जबकि, इस पूरे क्षेत्र में करीब 105 बाघ निवास करते हैं।
-डॉ. विष्णु वाकणकर टाइगर रिजर्व में 763.812 वर्ग किलोमीटर का कोर एरिया है। जबकि, 507.653 वर्ग किलोमीटर एरिया बफर जोन में है। इस तरह यहां का कुल क्षेत्र 1271.465 वर्ग किलोमीटर है। जबकि, इस पूरे क्षेत्र में करीब 121 बाघ निवास करते हैं।
-पन्ना टाइगर रिजर्व में 576.13 वर्ग किलोमीटर का कोर एरिया है। जबकि, 1021.97 वर्ग किलोमीटर एरिया बफर जोन में है। इस तरह यहां का कुल क्षेत्र 1598.1 वर्ग किलोमीटर है। जबकि, इस पूरे क्षेत्र में करीब 100 बाघ निवास करते हैं।