भोपाल

विश्व की सबसे बड़ी ग्राउंड वाटर रिचार्ज परियोजना, एमपी और महाराष्ट्र के बीच हुआ करार

Tapi Basin Recharge Project : विश्व की सबसे बड़ी ग्राउंड वाटर रिचार्ज परियोजना पर मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र सरकार के बीच एमओयू हो गया है। तापी बेसिन रिचार्ज परियोजना के लिए एमपी के सीएम डॉ. मोहन यादव और महाराष्ट्र के सीएम देवेन्द्र फडणवीस के बीच करार हुआ।

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Tapi Basin Recharge Project : विश्व की सबसे बड़ी ग्राउंड वाटर रिचार्ज परियोजना पर शनिवार को मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र सरकार के बीच एमओयू हुआ। तापी बेसिन रिचार्ज परियोजना के लिए एमओयू पर साइन मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव एवं महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने किए बता दें कि, ये कार्यक्रम राजधानी भोपाल में स्थित कुशाभाऊ ठाकरे अंतर्राष्ट्रीय कनवेंशन सेटर में आयोजित किया गया था।

केन-बेतवा लिंक परियोजना और पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना के बाद यह मध्य प्रदेश की तीसरी अहम नदी परियोजना है। इससे खंडवा, बुरहानपुर जिले को फायदा होगा। निमाड़ के लिए जीवन रेखा साबित होगा। महाराष्ट्र के अकोला, अमरावती सहित तीन जिलों में जहां खारा पानी है, वहां स्वच्छ पेयजल उपलब्ध हो सकेगा। शनिवार को मीडिया से मुखातिब महाराष्ट्र के मुयमंत्री फडणवीस और सीएम के मुयमंत्री डॉ. यादव ने यह बात कही।

वर्ष 2000 में हुई थी पिछली बैठक

महाराष्ट्र के सीएम फडणवीस ने समझौते के दौरान कहा कि 25 साल बाद दोनों राज्यों की बोर्ड बैठक हुई है। पिछली बैठक साल 2000 में हुई थी। इससे न सिर्फ परियोजना आगे बढ़ी, बल्कि जल संकट से निपटने के प्रयास भी तेज हुए।

जबलपुर-नागपुर फ्रेट कॉरिडोर बनेगा

सीएम डॉ. यादव ने कहा कि मध्यप्रदेश तो नदियों का मायका है। यहां 247 नदियां बहती हैं। परियोजना से भू जलस्तर सुधरेगा। सिंचाई बेहतर होगी। महाराष्ट्र से जुड़कर विरासत को फिर जीवित करेंगे। बंदरगाहों से व्यापार बढ़ाएंगे। जबलपुर से नागपुर तक डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर बनाया जाएगा। इससे लागत कम होगी। गोदावरी और ताप्ती से जुड़े प्रोजेक्ट्स पर मिलकर काम किया जाएगा।

ऐसी है परियोजना

तापी (ताप्ती) बेसिन मेगा रिचार्ज परियोजना से मध्यप्रदेश के 1,23,082 हेक्टेयर क्षेत्र में एवं महाराष्ट्र के 2,34,706 हेक्टेयर में सिंचाई प्रस्तावित है। परियोजना में भूजल भंडारण का विस्तार किया जाएगा। बुरहानपुर एवं खंडवा जिलों की बुरहानपुर, नेपानगर, खकनार एवं खालवा तहसीलें लाभान्वित होंगी। पूर्व में पारंपरिक भंडारण के लिए 66 टीएमसी क्षमता का बांध प्रस्तावित था। 17 हजार हेक्टेयर से ज्यादा भूमि प्रभावित हो रही थी। इसमें वन भूमि एवं बाघ अभयारण्य की भूमि भी शामिल थी। इसके अलावा 73 गांव की लगभग 14 हजार जनसंया भी प्रभावित हो रही थी। इस अवरोध को दूर करते हुए पारंपरिक जल भंडारण के स्थान पर ग्राउंड वाटर रिचार्ज योजना द्वारा जल भंडारण प्रस्तावित किया गया है। परियोजना पर करार से पहले मंत्रालय में अंतरराज्यीय नियंत्रण मंडल की बैठक हुई।

धार्मिक सर्किट बनाने पर सहमति

मुयमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि ओंकारेश्वर और महाकालेश्वर को महाराष्ट्र के त्र्यंबकेश्वर, भीमाशंकर और घृष्णेश्वर से जोड़कर धार्मिक पर्यटन का सर्किट बनाएंगे। इसके अलावा कॉरिडोर विकसित करने पर भीसहमति बनी है।

दुनिया का अजूबा है यह प्रोजेक्ट

सीएम फडणवीस ने प्रोजेक्ट को दुनिया का अजूबा बताया। कहा, जब साइट पर गए तो लगा कि एक गुप्त नदी आती है और पानी कुएं में जाता है। लगातार पानी जाने के बाद भी कुएं का जलस्तर ओवरलो नहीं होता। इसलिए प्रोजेक्ट से मप्र और महाराष्ट्र को बहुत फायदा होगा।

केंद्र से लेंगे आर्थिक मदद

सीएम डॉ. यादव ने भरोसा जताया कि जैसे केंद्र सरकार ने केन-बेतवा और पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजनाओं में मदद की, उसी तरह इस परियोजना को भी केंद्र से सहयोग मिलेगा।

यह करेंगे प्रदेश

-उद्योग क्षेत्र, सांस्कृतिक, आध्यात्मिक परंपराओं, पर्यटन, बागवानी क्षेत्र में सहयोग की गतिविधियां बढ़ेंगी।

-बुनकरों के हित में महेश्वर और मालवा के अन्य स्थानों पर प्रशिक्षण व व्यवसाय उन्नयन के प्रयास।

-साहसी योद्धाओं के गौरवशाली दस्तावेजों का संकलन और डिजिटलाइजेशन किया जाएगा।

-मोड़ी लिपि की पांडुलिपियों को संरक्षित, प्रकाशन में दोनों राज्य सहभागिता कर सकते हैं।

-बुरहानपुर के केला महोत्सव और महाराष्ट्र के रत्नागिरी के आम महोत्सव को जोड़कर पर्यटन, उद्यानिकी गतिविधियों को बढ़ावा।

Updated on:
11 May 2025 10:56 am
Published on:
11 May 2025 09:45 am
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