Patrika Harit Pradesh Abhiyan: जानकारी मिली है कि इस अभिनव पहल 'प्लांट पासपोर्ट' की भी शुरुआत की, जिसमें बच्चे अपने लगाए पौधों की ऊँचाई, पत्तियों की संख्या और बढ़त का नियमित लेखा-जोखा रखते हैं।
Patrika Harit Pradesh Abhiyan: छत्तीसगढ़ के अतिसंवेदनशील नक्सल प्रभावित जिले बीजापुर की धरती पर अब केवल गोलियों की गूंज नहीं, बच्चों के हाथों में हरियाली की कलम भी दिखाई दे रही है। ‘‘एक पेड़ माँ के नाम’’ अभियान के ज़रिए बदलाव की एक ऐसी इबारत लिखनी शुरू की है, जो आने वाले कल को हराभरा और सुरक्षित बना सकती है। बाल वृक्ष मित्र इको क्लब के बैनर तले चलाए जा रहे इस अभियान की ख़ासियत यह है कि इसमें हर बच्चा एक पौधा लगाकर उसे अपनी माँ के नाम समर्पित करता है।
इस विचार ने जहां बच्चों के मन में पर्यावरण के प्रति प्रेम जगाया, वहीं भावनात्मक जुड़ाव के ज़रिए उन्हें जिम्मेदार भी बना दिया है। इस अभियान में एक 6 वर्षीय बालक वेदार्का रंगनाधा नेने जुड़ा हुआ है। जानकारी मिली है कि इस अभिनव पहल 'प्लांट पासपोर्ट' की भी शुरुआत की, जिसमें बच्चे अपने लगाए पौधों की ऊँचाई, पत्तियों की संख्या और बढ़त का नियमित लेखा-जोखा रखते हैं। इससे उनकी भागीदारी केवल शारीरिक नहीं, मानसिक और भावनात्मक भी बन गई है। इस अभियान को जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग का भी सहयोग मिला है। पौधे वितरित किए गए।
वेदार्का का सपना है कि नक्सल प्रभावित इलाकों में हर बच्चे के हाथ में किताब हो, एक पौधा हो और दिल में पर्यावरण के लिए प्रेम हो। वह मानता है कि अगर बच्चे प्रकृति से जुड़ जाएं, तो न केवल धरती हरी होगी, बल्कि उनका भविष्य भी उज्जवल होगा। छोटे वेदार्का की यह सोच और पहल आज पूरे बीजापुर जिले के लिए प्रेरणा बन चुकी है। यह सिर्फ़ एक बच्चा नहीं, बल्कि एक आंदोलन है, जो बताता है कि बदलाव की शुरुआत छोटे कदमों से भी की जा सकती है।
Patrika Harit Pradesh Abhiyan: अभियान के अंतर्गत विश्व पर्यावरण दिवस, पृथ्वी दिवस जैसे अवसरों पर बच्चों के लिए चित्रकला, निबंध लेखन, रैली और पौधरोपण जैसे आयोजन किए जा रहे हैं, जो उन्हें न केवल जागरूक बना रहे हैं, बल्कि उन्हें प्रकृति का प्रहरी भी बना रहे हैं।