बिलासपुर

Bilaspur High Court: दिव्‍यांग कर्मचारियों के हित में HC का बड़ा फैसला, ट्रांसफर-पोस्टिंग नीति को लेकर जारी किया ये निर्देश

CG High Court: नगर पालिका परिषद बेमेतरा में सहायक राजस्व निरीक्षक के पद पर पदस्थ हरमन सिंह वर्मा ने अधिवक्ता संदीप दुबे के माध्यम से छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में याचिका में याचिका दायर शासन के तबादला को चुनौती दी थी।

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Bilaspur High Court: छत्तीसगढ़ के सरकारी कार्यालयों में पदस्थ दिव्यांग अधिकारी और कर्मचारियों के लिए हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है। एक मामले में जस्टिस पीपी साहू की सिंगल बेंच ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए राज्य शासन को दिव्यांग अधिकारियों- कर्मचारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग के लिए नीति बनाने का निर्देश दिया है।

कोर्ट ने राज्य शासन को विकलांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम 2016 के तहत इसके लिए राज्य आयुक्त नियुक्त करने का निर्देश दिया है। सिंगल बेंच ने आदेश में कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने दिव्यांग कर्मचारी व अधिकारियों के स्थानांतरण के मुद्दे पर कहा है कि शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्ति स्वतंत्र और आसानी से घूमने में असमर्थ होते हैं। दिव्यांग व्यक्तियों को होने वाली बाधाओं पर विचार करते हुए देशभर की राज्य सरकारों को दिव्यांग व्यक्तियों को उनकी पसंद के स्थानों पर यथासंभव तैनात करने के लिए 20 जुलाई 2000 को अधिसूचना जारी करने का निर्देश दिया था।

कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्तियों को दिए जाने वाले इस लाभ का उद्देश्य शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्तियों को ऐसे स्थान पर तैनात करने में सक्षम बनाना है, जहां उनको आसानी से मदद मिल सके और शासकीय कामकाज के संचालन में दिक्कतें न आए।

Bilaspur High Court: यह है मामला

सचिव नगरीय प्रशासन ने 12 सितंबर 2023 को एक आदेश जारी कर नगर पालिका परिषद बेमेतरा में सहायक राजस्व निरीक्षक के पद पर याचिकाकर्ता का तबादला नगर पालिका परिषद कुहारी, जिला दुर्ग कर दिया था। याचिकाकर्ता ने 21 अगस्त.2024 के उस आदेश को भी चुनौती दी है, जिसके तहत उसे वर्तमान पदस्थापना स्थान से हटाकर स्थानांतरित स्थान पर कार्यभार ग्रहण करने के लिए कहा गया है। याचिकाकर्ता ने कोर्ट में तर्क दिया कि प्रारंभ में शारीरिक रूप से विकलांग श्रेणी के तहत नगर पालिका परिषद बेमेतरा में भृत्य के पद पर नियुक्त किया गया था।

निवास के करीब हो पदस्थापना

कोर्ट ने यह भी कहा है कि दिव्यांगों को लंबी दूरी की यात्रा से बचाने के लिए निवास से दूरी एक प्रासंगिक विचार हो सकता है। सरकारी आदेश के माध्यम से विकलांगों को जो लाभ दिया गया है, उसे ऐसे नियमों और शर्तों पर लाभ प्राप्त करने के अधिकार के प्रयोग के अधीन करके नहीं छीना जा सकता।

आवेदन मिलने पर शीघ्रता से करना होगा निराकरण

कोर्ट ने याचिकाकर्ता को सचिव नगरीय प्रशासन विभाग के समक्ष 10 दिनों के भीतर संपूर्ण दस्तोवजों के साथ विस्तृत अभ्यावेदन प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। यह भी कहा है कि यदि याचिकाकर्ता अभ्यावेदन प्रस्तुत करता है, तो सचिव नगरीय प्रशासन को उस पर शीघ्रता से विचार कर निराकरण करना होगा।

Published on:
06 Oct 2024 01:36 pm
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