CG High Court: हाईकोर्ट ने शासकीय अनुदान प्राप्त निजी स्कूलों के सेवानिवृत्त शिक्षकों को सरकारी शिक्षकों के समान पेंशन देने की मांग से जुड़ी याचिकाओं को खारिज कर दिया है।
CG High Court: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने शासकीय अनुदान प्राप्त निजी स्कूलों के सेवानिवृत्त शिक्षकों को सरकारी शिक्षकों के समान पेंशन देने की मांग से जुड़ी याचिकाओं को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि न्यायालय विधायिका को किसी विशेष कानून के निर्माण का निर्देश नहीं दे सकता और पेंशन से संबंधित नीतिगत निर्णय लेना संसद व राज्य सरकार का अधिकार क्षेत्र है।
अनुदान प्राप्त निजी स्कूलों के सेवानिवृत्त शिक्षकों ने हाईकोर्ट में अलग-अलग याचिकाएं दायर कर यह मांग की थी कि उन्हें भी सरकारी स्कूलों के शिक्षकों की तरह पेंशन और अन्य सेवानिवृत्ति लाभ दिए जाएं। उनका कहना था कि जब वेतन के मामले में उन्हें सरकारी शिक्षकों के बराबर माना जाता है, तो पेंशन से वंचित करना उनके साथ अन्याय और भेदभाव है।
याचिकाओं में कहा गया कि पेंशन न देना संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) और अनुच्छेद 21 (गरिमा के साथ जीवन का अधिकार) का उल्लंघन है। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि उन्होंने दशकों तक सार्वजनिक शिक्षा के लिए सेवा दी, इसके बावजूद सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें किसी प्रकार की सामाजिक सुरक्षा नहीं मिल रही है।
याचिकाकर्ताओं और शासन के तर्क सुनने के बाद हाईकोर्ट ने कहा कि संबंधित स्कूल न तो सरकारी हैं और न ही वहां कार्यरत शिक्षक सरकारी कर्मचारी माने जा सकते हैं। केवल 100 प्रतिशत ग्रांट-इन-एड मिलने से शिक्षक सरकारी कर्मचारी नहीं बन जाते। कोर्ट ने कहा कि अनुदान का उद्देश्य स्कूलों का सुचारू संचालन है, न कि कर्मचारियों को पेंशन देना।
कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी उल्लेख किया कि इससे पहले वर्ष 2009 में स्कूल शिक्षा विभाग, छत्तीसगढ़ शासन ने पत्र जारी कर ऐसी मांगों को खारिज कर दिया था, क्योंकि अनुदान प्राप्त निजी स्कूलों के शिक्षकों को पेंशन देने का कोई वैधानिक प्रावधान नहीं है।
हाईकोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता यह साबित करने में असफल रहे कि पेंशन लाभ देने के संबंध में कोई वैधानिक नियम मौजूद हैं। ऐसे में राज्य सरकार को नियम बनाने या पेंशन देने का निर्देश नहीं दिया जा सकता।
इन सभी तथ्यों और पक्षकारों की दलीलों पर विचार करने के बाद हाईकोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि अनुदान प्राप्त निजी स्कूलों के सेवानिवृत्त शिक्षक सरकारी कर्मचारी नहीं हैं, इसलिए उन्हें शासकीय शिक्षकों के समान पेंशन देने का कोई वैधानिक आधार नहीं बनता। इसी आधार पर अदालत ने पेंशन की मांग से जुड़ी सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया।