CG High Court Case: सब इंजीनियर आर.पी. कश्यप को रिश्वत लेने के झूठे आरोप से हाई कोर्ट ने आजादी दे दी। अपनी ईमानदारी साबित करने में सब इंजीनियर को 25 साल लग गए। इंजीनियर आर.पी. कश्यप सालों से आरोप से मुक्ति पाने के लिए हाई कोर्ट के चक्कर लगा रहे थे।
Chhattisgarh High Court: रिश्वत नहीं ली, यह साबित करने में ग्रामीण यांत्रिकी सेवा विभाग (आरईएस) के उपयंत्री को 25 वर्ष लग गए। हाईकोर्ट ने रिश्वत लेने का आरोप सिद्ध न होने पर विशेष अदालत द्वारा सुनाई गई सजा को निरस्त किया है। सब इंजीनियर आर.पी. कश्यप ग्रामीण यांत्रिकी सेवा विभाग में वर्ष 1999 में जनपद पंचायत मनेंद्रगढ़ में पद पर पदस्थ थे। ग्राम पंचायत केल्हारी के ग्राम बिछिया टोला निवासी प्रेम बाबू मिश्रा को जीवन धारा योजना के तहत कुएं के निर्माण के लिए 15 हजार 500 रुपये अनुदान स्वीकृत हुआ।
दो क़िस्त जारी करने के बाद अंतिम किस्त जारी करने कथित तौर पर उपयंत्री ने 1000 रुपये रिश्वत की मांग की। प्रेम बाबू मिश्रा ने इसकी बिलासपुर एसपी से शिकायत की। इसके बाद शिकायतकर्ता को केमिकल लगे 100-100 रुपये मूल्य के 7 नोट देकर उपयंत्री के घर भेजा गया। उपयंत्री ने रुपये पत्नी को दिए। इशारा मिलते ही टीम ने उन्हें पकड़ा और कार्रवाई करते हुए न्यायालय में चालान पेश किया। 2002 में विशेष अदालत ने आरोपी को 3 वर्ष कठोर कारावास और 3000 रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। इसके खिलाफ उपयंत्री ने हाईकोर्ट में अपील की थी।
अपील में कहा गया कि उसने शिकायकर्ता के पास 1500 ईंट और पांच बोरी सीमेंट ट्रैक्टर से भेजा था। उसने पहले 800 रुपये दिए, शेष बकाया रकम 1175 रुपए लेना था। इसी बकाया रकम में से 700 रुपए देकर झूठे मामले में फंसाया गया। उपयंत्री ने बचाव साक्ष्य में सीमेंट दुकान के मालिक, ईंट ले जाने वाले किसान और ट्रैक्टर मालिक सहित पांच गवाह प्रस्तुत किए। जस्टिस संजय कुमार जायसवाल के कोर्ट ने रिश्वत लेने का आरोप सिद्ध नहीं पाया। कोर्ट ने उपयंत्री को दोषमुक्त करते हुए विशेष अदालत के निर्णय को निरस्त कर दिया।