Encroachment Case: वन विभाग के रेंजर ने स्पष्ट किया है कि संबंधित जमीन वन सीमा के बाहर स्थित है। अरपा नदी किनारे इस क्षेत्र में सामाजिक वानिकी योजना के तहत वृक्षारोपण किया गया था, जिसे बाद में पंचायत को सौंप दिया गया।
Encroachment Case: बिलासपुर कोटा ब्लॉक के ग्राम बरर में अरपा नदी किनारे पेड़ काटकर खेत बनाए जाने के मामले में अब वन विभाग ने खुद को जिम्मेदारी से अलग कर लिया है। पहले इसे वनभूमि पर अवैध कब्जा बताया जा रहा था, लेकिन अब वन विभाग का कहना है कि जिस जमीन पर जेसीबी चलाकर करीब 10 एकड़ क्षेत्र को खेत में बदला गया है, वह राजस्व विभाग की भूमि है, न कि वन क्षेत्र।
वन विभाग के रेंजर ने स्पष्ट किया है कि संबंधित जमीन वन सीमा के बाहर स्थित है। अरपा नदी किनारे इस क्षेत्र में सामाजिक वानिकी योजना के तहत वृक्षारोपण किया गया था, जिसे बाद में पंचायत को सौंप दिया गया। रेंजर के अनुसार, चूंकि यह भूमि वन विभाग के अधीन नहीं है, इसलिए कार्रवाई की जिम्मेदारी राजस्व विभाग और पंचायत की बनती है।
ग्रामीणों का कहना है कि चाहे जमीन राजस्व की हो या वन विभाग की, जिस तरह से बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई कर जेसीबी से जमीन को समतल किया गया है, वह नियमों का खुला उल्लंघन है। उनका आरोप है कि शिकायत के बावजूद अब तक न तो राजस्व विभाग और न ही पंचायत स्तर पर कोई ठोस कार्रवाई की गई है।
ग्रामीणों ने यह भी बताया कि वर्ष 2012-13 में इसी क्षेत्र में बड़े पैमाने पर पौधरोपण किया गया था, जिसे अब पूरी तरह नष्ट कर दिया गया है। विभागों के बीच जिम्मेदारी तय न होने का फायदा अवैध कब्जाधारी उठा रहे हैं। खेत बनाने से वन और नदी किनारे की जमीनें तेजी से अतिक्रमण की चपेट में आ रही हैं। पेड़ कटने से कटाव भी भविष्य में बढ़ सकता है, लेकिन इसके बाद भी अवैध कटाई हो रही है।
उक्त क्षेत्र वन क्षेत्र से बाहर है, यह राजस्व विभाग की है। अरपा नदी किनारे सामाजिक वानिकी द्वारा पौधरोपण किया गया था, जिसे पंचायत को सौंप दिया गया है। - देव सिंह ठाकुर, रेंजर, वनपरिक्षेत्र रतनपुर