RTE Admission 2025: प्रदेश के प्रमुख निजी स्कूलों में कुल सीटों का केवल 3 सीट ही आरटीई के तहत भरा जा रहा है। इसके साथ ही पिछले एक साल में आरटीई के तहत एडमिशन की संख्या में लगभग सवा लाख की गिरावट आई है।
RTE Admission 2025: शिक्षा के अधिकार अधिनियम (आरटीई)के तहत गरीबों की जगह अमीरों के बच्चों का एडमिशन हो रहा है। साइट भी हैक करने की जानकारी सामने आई है। हाईकोर्ट ने प्रकरण में जांच कराने के निर्देश दिए हैं। आरटीई के अंतर्गत प्रदेश में हो रही गड़बड़ी पर हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि शिक्षा के अधिकार का लाभ पात्र बच्चों को नहीं मिल पा रहा है। इसमें गरीबों की जगह अमीरों के बच्चों का एडमिशन हो रहा है तो साइट भी हैक की जा रही है। हाईकोर्ट के नोटिस के बाद मंगलवार को सुनवाई के दौरान शासन ने कहा कि इस तरह की कोई शिकायत नहीं मिली है।
इस याचिका में कहा गया है कि प्रदेश के प्रमुख निजी स्कूलों में कुल सीटों का केवल 3 सीट ही आरटीई के तहत भरा जा रहा है। इसके साथ ही पिछले एक साल में आरटीई के तहत एडमिशन की संख्या में लगभग सवा लाख की गिरावट आई है।
प्रदेश में आरटीई के तहत ईडब्ल्यूएस और बीपीएल वर्ग के बच्चों के सही तरीके से एडमिशन नहीं होने को लेकर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और शिक्षा विभाग से जवाब तलब किया था। कोर्ट ने हाल ही में लागू नए नियमों से आरटीई सीटों में कटौती, एडमिशन में अनियमितता और फर्जी प्रवेश को लेकर भी स्पष्टीकरण मांगा था।
RTE Admission 2025: हाईकोर्ट ने मामले में टिप्पणी करते हुए कहा है कि आरटीई अधिनियम के तहत स्कूलों में प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करना बच्चों का मौलिक अधिकार है। गरीब माता-पिता भी अपने बच्चों को बच्चे को प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाने की इच्छा रखते हैं तो वे अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में नामांकन करा सकते हैं।
प्राइवेट स्कूलों में पहली कक्षा में 25 सीटों पर गरीब छात्रों के नामांकन मुफ्त लेना है, और निशुल्क पढ़ाई कराना है लेकिन प्राइवेट स्कूल के संचालकों की मनमानी जारी है। घर से 100 मीटर के दायरे में एडमिशन के नियम के आधार पर कई बच्चों को प्रवेश वंचित किया जा रहा है। निजी स्कूल आरटीई से आने वाले आवेदनों को खारिज कर डोनेशन और फीस लेकर सीटें भर रहे हैं।