CG High Court: इमरजेंसी सर्विस डायल 112 के लिए 40 करोड़ रुपए की लागत से खरीदे गए नए वाहनों की खस्ता हालत पर सोमवार को हाईकोर्ट ने सुनवाई की।
CG High Court: इमरजेंसी सर्विस डायल 112 के लिए 40 करोड़ रुपए की लागत से खरीदे गए नए वाहनों की खस्ता हालत पर सोमवार को हाईकोर्ट ने सुनवाई की। डिवीजन बेंच ने इसे कुप्रबंधन मानते हुए डीजीपी को व्यक्तिगत शपथपत्र में जवाब देने के निर्देश दिए हैं, जिसमें उन परिस्थितियों का विस्तार से वर्णन होगा जिनके कारण नए वाहनों को खरीद कर खड़ा कर दिया गया, जिससे वे कंडम हो गए।अगली सुनवाई 8 अक्टूबर को निर्धारित की गई है।
डायल 112 सेवा में इस्तेमाल होने वाले वाहनों की खराब हालत पर हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया है। 2023 में डायल-112 सेवा के लिए 40 करोड़ रुपए की लागत से 400 वाहन राज्य के पुलिस विभाग ने खरीदे। लेकिन उपयोग में आने के बजाय, वे लगभग दो साल तक अमलेश्वर बटालियन में खड़े रहे। फिर, अप्रैल 2025 में, पुलिस थानों के लिए फिर से 325 नए वाहन खरीदे गए, लेकिन उन्हें तैनात करने के बजाय, पुलिस मुख्यालय ने लंबे समय से बेकार पड़े डायल-112 वाहनों की मरम्मत कर उन्हें थानों में भेजने के निर्देश जारी कर दिए।
जबकि नए खरीदे गए वाहनों को फिर से खड़ा रखा गया। इस अजीबोगरीब प्रथा में 100 करोड़ रुपए का अनावश्यक खर्च हुआ। मरम्मत और सर्विसिंग के लिए प्रति वाहन 50,000 रुपये का खर्च आता है, लेकिन इससे डीजल वाहनों की आयु 10 वर्ष से घटकर 8 वर्ष रह जाती है।
मैदानी हालात ऐसे हैं कि अधिकारी भी पुराने, खराब वाहनों को चालू रखने के लिए अपने संसाधनों से खर्च करने को मजबूर हैं, जबकि नए वाहन अप्रयुक्त पड़े रहते हैं। हाईकोर्ट ने माना कि, यह स्थिति निविदा और एजेंसी चयन के मामले में अनिर्णय के कारण उत्पन्न हुई है, जिससे प्रशासनिक विलंब, वित्तीय बोझ और पुलिस कार्यप्रणाली में परिचालन संबंधी असुविधा हुई है।