CG High Court: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर हाईकोर्ट ने आदेश दिया है पिता की मृत्यु के बाद नाबालिग बच्चों का भरण-पोषण दादा की जिम्मेदारी है।
CG High Court: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर हाईकोर्ट ने आदेश दिया है पिता की मृत्यु के बाद नाबालिग बच्चों का भरण-पोषण दादा की जिम्मेदारी है। कोर्ट ने बलौदा-भाटापारा जिले के पलारी तहसील के बालौदी गांव की महिला के तीनों बच्चों को हर माह छह हजार रुपए देने का निर्देश ससुर को दिया। हालांकि विवाह कानूनी रूप से प्रमाणित नहीं होने पर बहू को भरण-पोषण का लाभ नहीं मिल सकता।
कोर्ट ने कहा कि हिंदू दत्तक ग्रहण एवं भरण-पोषण अधिनियम के तहत बच्चे आश्रित की श्रेणी में आते हैं और दादा को यह जिम्मेदारी निभानी होगी। अपने फैसले में कोर्ट ने स्पष्ट किया कि आवेदन में गलत धारा का उल्लेख होने से यह अमान्य नहीं हो जाता। जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस अमितेंद्र किशोर प्रसाद की बेंच ने अपील खारिज करते हुए फैमिली कोर्ट का आदेश बरकरार रखा।
महिला ने फैमिली कोर्ट में आवेदन देकर खुद के लिए पांच हजार और प्रत्येक बच्चे के लिए तीन-तीन हजार रुपए भरण-पोषण की मांग की। फैमिली कोर्ट ने फरवरी 2023 में महिला की याचिका आंशिक रूप से स्वीकार कर कहा कि बहू को भरण-पोषण का हक नहीं है, परंतु बच्चों के लिए दादा जिम्मेदार होंगे।
इसके तहत हर बच्चे को दो-दो हजार रुपए मासिक भरण-पोषण का आदेश दिया गया। इस आदेश के खिलाफ ससुर ने हाई कोर्ट में अपील की। उनका तर्क था कि विवाह ही कानूनी रूप से प्रमाणित नहीं है, इसलिए वे भरण-पोषण देने के लिए बाध्य नहीं हो सकते।