Train Ticket Refund: ट्रेनें पूरी तरह से पैक चल रही हैं, ऐसे में जनरल और स्लीपर कोच में बैठे यात्री तपिश और उमस से पसीना-पसीना होकर सफर पूरा करने को मजबूर हैं।
Train Ticket Refund: ट्रेनें पूरी तरह से पैक चल रही हैं, ऐसे में जनरल और स्लीपर कोच में बैठे यात्री तपिश और उमस से पसीना-पसीना होकर सफर पूरा करने को मजबूर हैं।
ऐसे समय में ब्लॉक लगने से ट्रेनें रद्द होने पर लोगों को कंफर्म टिकट मिलना तो मुश्किल है ही। उन्हें अपने टिकटों का रिफंड लेने के लिए भी मशक्कत करनी पड़ रही है। रेलवे के काउंटरों से तो आसानी से रिफंड मिल जाता है, लेकिन ई-टिकट वाले हजारों यात्रियों को रिफंड करने में रेलवे की आईआरसीसीटी रुला रही है। उनके बैंक खातों में 10 से 15 दिनों बाद भी रिफंड नहीं किया जाता है। जबकि, तीन दिन के अंदर रिफंड होने के दावा किया जाता है।
Train Ticket Refund: इधर, ट्रेनों के रद्द होने और लेटलतीफी का असर यात्रियों पर पड़ रहा है। शुक्रवार को जितनी भी ट्रेनें बिलासपुर पहुंची, लगभग हर कोच में गेट तक यात्री भरे हुए नजर आए। जनरल में तो टायलेट तक यात्री ठसाठस सफर करने को मजबूर दिखे। यदि कोई यात्री पानी लेने के लिए प्लेटफार्म पर उतर जाए तो फिर दोबारा ट्रेन में चढ़ना मुश्किल होता है। ऐसी ट्रेनें चल रही हैं।
दूसरी तरफ, कटनी रूट के ब्लॉक से कई ट्रेनें लगातार तो कई ट्रेनें अलग-अलग तारीखों में रद्द की गई हैं। ऐसी 24 यात्री ट्रेनों के यात्री जिन्होंने दो से तीन महीना पहले कंफर्म लिए थे, उन्हें दोहरी मार झेलनी पड़ रही है। एक तो उनकी जरूरी यात्रा निरस्त हो गई और दूसरी सबसे बड़ी मुसीबत आईआरसीटीसी की मनमानी की वजह से है।
रेलवे में ऑनलाइन सिस्टम शुरू होने के साथ ही सबसे अधिक यात्री ई-टिकट कराते हैं, परंतु जब ट्रेनें कैंसिल होती हैं, या किन्हीं कारण से वे खुद टिकट कैंसिल कराते हैं तो रिफंड के लिए कई दिनों तक इंतजार कराया जाता है। विनोद यादव ने बताया कि चार ई-टिकट एक साथ कराया था, जिसे 8 जून को कैंसिल किया था, उसका रिफंड नहीं होने पर रेल अधिकारियों से शिकायत की, लेकिन कोई राहत नहीं मिली। रेलवे अधिकारियों का कहना है कि रेलवे काउंटर वाले टिकट कैंसिलेशन का रिफंड करने में कोई दिक्कत यात्रियों को नहीं होती है। ई-टिकट का पूरा संचालन आईआरसीटीसी से होता है। इसलिए रिफंड में देरी के बारे में कुछ नहीं कह सकते।