बिलासपुर

Unique Navratri Pandal: बिलासपुर का अनोखा दुर्गा पंडाल: जहां महिलाएं संभाल रहीं कमान, शिक्षा-सेवा और समाज सुधार का दे रही संदेश

Unique Navratri Pandal: बिलासपुर के जरहाभाठा मिनी बस्ती का दुर्गा पंडाल इस बार भी सिर्फ धार्मिक आयोजन का केंद्र नहीं, बल्कि सामाजिक परिवर्तन और महिला सशक्तिकरण की मिसाल बन गया है।

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बिलासपुर का अनोखा दुर्गा पंडाल (फोटो सोर्स- पत्रिका)

Unique Navratri Pandal: बिलासपुर के जरहाभाठा मिनी बस्ती का दुर्गा पंडाल इस बार भी सिर्फ धार्मिक आयोजन का केंद्र नहीं, बल्कि सामाजिक परिवर्तन और महिला सशक्तिकरण की मिसाल बन गया है। यहां महिलाओं ने महाकालेश्वर महिला समिति बनाकर नवरात्रि को नई दिशा दी है। कभी गुटबाजी के कारण ठप हो चुकी पूजा अब आस्था और समाज सुधार का संगम बन चुकी है।

समिति ने दुर्गा पूजा को पांच संकल्पों से जोड़ा है, शिक्षा, नशामुक्ति, आत्मनिर्भरता, स्वास्थ्य-जागरूकता और सामाजिक समरसता। पंडाल में शाला त्यागी बच्चों के लिए विशेष कक्षाएं लगती हैं और प्रसाद के साथ पेन-कॉपी-किताबें बांटी जाती हैं। युवाओं को नशे और अपराध से दूर रखने के लिए अभियान चलाए जाते हैं। महिलाएं सिलाई-कढ़ाई, स्वरोजगार और छोटे कारोबार का प्रशिक्षण लेकर परिवार की जिम्मेदारी संभाल रही हैं।

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डीजे, धुमाल की जगह भजन की गूंज

विसर्जन में डीजे, धूमाल और शराब पर प्रतिबंध लगाकर सादगी व मर्यादा का आदर्श भी रखा गया है। पंडाल में संत कबीर, गुरु घासीदास और रविदास के भजन गूंजते हैं, जो भाईचारे और समरसता का संदेश देते हैं। यही वजह है कि यह आयोजन नवरात्रि का पंडाल भर नहीं, बल्कि महिला शक्ति और समाज सुधार का मंच बन चुका है। समिति की अध्यक्ष लक्ष्मी वर्मा सहित दिलेश्वरी साहू, जमुना यादव, माधुरी साहू, नंदिनी बंजारे, उषा सागर, प्रतिभा बर्मन, सरस्वती रात्रे ने बताया कि आस्था का उजाला तभी सार्थक है जब वह समाज में नई रोशनी भर सके।

40% हिस्सा शिक्षा- समाजसेवा पर खर्च

समिति की महिलाएं आत्मनिर्भरता की प्रतीक बन चुकी हैं। वे किराना दुकान, डेयरी, टेलरिंग, पार्लर ट्रेनिंग से लेकर इलेक्ट्रिक ऑटो और गाड़ी चलाने तक की मिसाल पेश कर रही हैं। पूजा के बजट का 40त्न हिस्सा शिक्षा और समाजसेवा पर खर्च किया जाता है। चंदे का पूरा हिसाब रसीद के साथ सार्वजनिक होता है।

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Published on:
26 Sept 2025 05:22 pm
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