Shah Bano Case: 5 छोटे-छोटे बच्चों की चीख ने मुस्लिम महिला को तोड़ा नहीं। पति ने बोल दिया था तलाक-तलाक-तलाक, मगर लड़ी लम्बी कानूनी लड़ाई।
Shah Bano Begum Case: 40 साल पहले एक मुस्लिम महिला के पास खाने के लिए दो वक्त की रोटी नहीं थी। 5 छोटे-छोटे बच्चों का भार उसके कंधे पर आ गया क्योंकि उसे पति ने तलाक दे दिया था। लेकिन उसने हार नहीं मानी और लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी। उनके हौसले, आज इस बात की गवाही देते है कि ‘ट्रिपल तलाक’ पर कानून बनाया गया ताकि पीड़ित मुस्लिम महिलाओं को न्याय मिल सके।
शाहबानो (Shah Bano) एक भारतीय मुस्लिम महिला थीं, जिनकी वास्तविक जीवन की कहानी भारत के इतिहास की सबसे चर्चित कानूनी लड़ाइयों में से एक बन गई। 62 वर्ष की उम्र में अपने पति द्वारा तलाक दिए जाने के बाद आर्थिक सहायता (भरण-पोषण) के लिए उन्होंने मध्य प्रदेश के इंदौर की एक अदालत में एक याचिका दायर की जो कि सुप्रीम कोर्ट तक चली गई थी। लंबी कानूनी लड़ाई के बाद ‘शाहबानो केस’ (Mohd. Ahmed Khan vs. Shah Bano Begum, 1985) नामक ऐतिहासिक फैसला आया।
यह केस मुस्लिम पर्सनल लॉ और सेकुलर कानून (सीआरपीसी की धारा 125) के बीच टकराव को उजागर करने वाला था, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया कि तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं को भी भरण-पोषण का अधिकार है। इस केस ने महिलाओं के अधिकारों, धर्म और कानून के बीच बहस छेड़ दी और बाद में मुस्लिम वुमन एक्ट (1986) का जन्म हुआ।
शाहबानो की कहानी पर्दे पर बहुत जल्द देखने को मिलेगी। फिल्म का नाम है ‘हक’ है, जिसका टीजर मेकर्स ने रिलीज कर दिया है। फिल्म ‘हक’ में यामी गौतम शाजिया बानो का किरदार निभा रही हैं, जो असल में शाह बानो केस से प्रेरित एक काल्पनिक रोल है। फिल्म में उनके पति की भूमिका इमरान हाशमी ने निभाई है। टीजर में दिखाया गया है कि ये कहानी 1970 के दशक के आखिर और 1980 के शुरुआती दौर की है, जब भारत की सबसे चर्चित कानूनी लड़ाइयों में से एक लड़ाई लड़ी गई थी। बता दें ‘हक’ जिग्ना वोरा की किताब ‘बानो: भारत की बेटी’ पर आधारित है, लेकिन इसे एक नाटकीय और काल्पनिक रूप दिया गया है। ये फिल्म सिनेमाघरों में 7 नवंबर 2025 को रिलीज की जाएगी।