दशहरा निकलते ही दीपावली का समय नजदीक आता जा रहा है, जिसको लेकर एक ओर लोग अपने मकानों की टूट फूट, रंगाई-पुताई, रोशनी आदि की व्यवस्था में जुटने लगे हैं,
बूंदी. नोताडा. दशहरा निकलते ही दीपावली का समय नजदीक आता जा रहा है, जिसको लेकर एक ओर लोग अपने मकानों की टूट फूट, रंगाई-पुताई, रोशनी आदि की व्यवस्था में जुटने लगे हैं, वहीं दूसरी ओर क्षेत्र में अतिवृष्टि व बाढ़ से प्रभावित लोग आशियाने के जुगाड़ में प्रशासन के चक्कर लगा रहे है, लेकिन उन्हें एक माह गुजरने के बाद भी राहत नहीं मिली है।
खेड़िया दुर्जन खाळ व पचीपला के निकट मेज नदी में आए उफान के चलते रेबारपुरा पंचायत के खेड़िया दुर्जन, पचीपला, कोथा, पापड़ली आदि गांवों में कई लोगों के आशियाने पानी के तेज बहाव मेें ढह गए थे, जिसके कारण लोगों के सामान व खाने के गेहूं खराब हो गए थे, जिसके बाद इन पीड़ित परिवारों ने कुछ दिन तो स्कूलों, धार्मिक स्थलों व अपने परिवारजनों, रिश्तेेदारों के पास रहकर गुजारे, लेकिन उनके पास भी कब तक रहे। यह सोचकर यह लोग अब कर्जा लेकर टीनशेड लगवा कर या फिर राहत सामग्री के साथ मिले तिरपालों की टपरियां बनाकर उनमें रहकर अपना गुजर बसर कर रहें हैं।
पैसा उधार लेकर टीनशेड करवाया
बाढ़ में सबकुछ नष्ट हो गया। गेहूं भी दब गएं। मेरा पति मानसिक बीमारी से ग्रस्त हैं और मेरा सामान निकालते वक्त फिसलने से पैर फ्रैक्चर गया था। पहले तो तीन दिन हम विद्यालय में रहे, फिर कुछ दिन रिश्तेदारों के पास रूके। अब कुछ पैसा उधार लेकर टीनशेड करवाया है। सरकार की ओर राशन किट मिला है, लेकिन मकानों के लिए अभी तक कोई सहायता नहीं मिली।
किष्किन्धा बाई मीणा, खेड़िया दुर्जन
सोहनलाल ने देखी दोहरी आपदा
खेड़िया दुर्जन निवासी सोहनलाल को बाढ़ के समय में दोहरी आपदा से गुजरना पड़ा। सोहन लाल ने नम आंखों से बताया कि बाढ़ के कुछ दिन पहले ही बेटे की खेत में दवा छिडक़ते समय मौत हो गई थी और उस समय ही बाढ़ से मकान ढहा गया। रहने के लिए जगह तक नहीं बची थी। कुछ दिन का समय इधर उधर रहकर गुजारा। अब तिरपाल से टपरी बनाकर अपने परिवार के साथ उसमें जीवन यापन कर रहे हैं और सरकार से जल्द राहत की उम्मीद कर रहे हैं।
आंखें छलक आई
बाढ़ के हालातों के एक माह शनिवार को बाढ़ग्रस्त खेड़िया दुर्जन व पचीपला गांव में पहुंचकर लोगों का दर्द जाना तो कई पीड़ितों के तो अपना दुख सुनाते हुए आंखें तक छलक आई। जैसे ही खाळ के उफान का पानी आया तो बच्चों को लेकर निकल गए थे। मकान पुरे टुट गए। अब तिरपाल की टपरी बनाकर रह रहे हैं। सरकार की ओर से अभी तक राशन सामग्री और गेहूं भी मिल रहे हैं, लेकिन मकानों के लिए कोई सहायता राशि नहीं मिली है।
केदारी बाई, खेड़िया दुर्जन
खाळ का पानी मकानों तक पहुंचने के बाद सबकुछ आंखों के सामने देखते ही देखते बर्बाद हो गया। गेहूं की टंकीं भी मकानों के नीचे दब गई, जिससे खाने का गेहूं खराब हो गया। रहने के लिए जगह नहीं बची, जिसमें बकरीया बांधते थ,े उसमें रह रहे हैं। राशन के अलावा अभी तक अन्य सहायता नहीं मिली।
छोटूलाल मीणा, खेड़िया दुर्जन
रात को पानी बढ़ने के साथ ही मकान छोड़कर अपना जीवन बचाकर बाहर निकल गए। पानी उतरने के बाद तबाई नजर आई। परिवार में बेटों के मकान ढह गए।ं रहने तक की जगह नहीं बची। अब तक राशन सामग्री तो मिली है, लेकिन आशियाने बनाने के लिए सहायता राशि नहीं पहुंची।
भंवरलाल केवट, पचीपला
मकानों के ऊपर पन्द्रह फीट पानी था। पानी उतरने के बाद सबकुछ तबाह मिला। पुरी बस्ती में किसी का भी मकान नहीं बचा। सब जमींदोज हो गए। राशन किट मिले है, जिससे पेट भर रहे हैं और एक तिरपाल मिला था, जिसकी टपरी बनाकर उसमें रह रहे हैं। एक माह गुजर गया, लेकिन सरकार की ओर से मकान बनाने के लिए सहायता कोई राशि नहीं मिली है
मुकेश केवट, पचीपला
बाढ़ मे सब कुछ बहग्यों साहब रहबा को आसरों भी न बच्यों। ई बार तो तरपाला की टापरी म ही म्हाकी दिवाली मनगी। यह कहते हुए सीता बाई के आसुं छलक आए। उन्होंने ने बताया कि तिरपाल की टापरी मं स्याला का मौसम मं कस्या राता कटगी।
सीता बाई, बाढ़ पीडित
बाढ़ पीड़ितों को अब तक लोकसभा अध्यक्ष की ओर से राशन किट, ग्राम पंचायत की ओर से राशन किट व ग्राम पंचायत के द्वारा दिल्ली के एनजीओ से सम्पर्क करके लोगों को तिरपाल, कपड़े, राशन व रोजमर्रा के सामान उपलब्ध करवाए गए है। वहीं जिन लोगों के आशियाने बाढ़ की वजह से क्षत्रिग्रस्त हो गए व पूर्ण रूप से ढह गए, उन लोगों के मकान, बर्तन, कपड़े, पशुओं का चारा आदि का राज्य सरकार के नियमनुसार ग्राम पंचायत द्वारा आवेदन करवा दिए है। अब सरकार से उम्मीद है कि जल्द ही इन पीड़ित लोगों को सहायता राशि उपलब्ध करवाए ताकी यह लोग अपना जीवन सुचारू रूप से निर्वहन कर सके।
प्रदीप कोहरीया, सरपंच, ग्राम पंचायत रेबारपुरा
रेबारपुरा पंचायत के गांवों में बाढ़ से हुए नुकसान के बारे पंचायत लेवल पर जेटीए, पटवारी व सचिव द्वारा नुकसान का सर्वे लगभग पूरा कर लिया है अब वह ऑनलाइन पोर्टल पर चढ़ रहे है, जिसमें थोड़ा समय लग रहा ह,ै बाकि हमारा प्रयास से जल्दी ही स्वीकृति हो जाएंगे।
भानुप्रताप सिंह, विकास अधिकारी, पं.सं.केपाटन