कस्बे की सबसे प्राचीन पहचान चारभुजा मंदिर एक अनमोल धरोहर हैं।
बड़ाखेड़ा. कस्बे की सबसे प्राचीन पहचान चारभुजा मंदिर एक अनमोल धरोहर हैं। कस्बे के बीच स्थित यह मंदिर करीब 400 वर्ष पूर्व नागर शैली में लाल पत्थर से निर्मित है। मंदिर पर लगे शिलालेख के अक्षर अब धुंधले हो गए, जिनको पढऩा आसान नहीं है। मंदिर के पुजारी सोहन लाल शर्मा बताते हैं कि मंदिर के मुख्य द्वार पर हाथियों की मूर्तियां स्थापित थी।
मंदिर के टूटे हुए पत्थर आज भी मौजूद है। इस मंदिर के पत्थर देखभाल के अभाव में दरक रहे हैं।
शिखर पर खरपतवार
चारभुजा मंदिर के पीछे की तरफ पेड पौधे उग चुके हैं। मंदिर के पिछले हिस्से में करीर, पीपल, नीम आदि के पेड़ बडे हो चुके है। इन वजह से मंदिर में पानी टपकने लगा है। धीरे-धीरे मंदिर भी जीर्ण-शीर्ण अवस्था में आने लगा है। चारभुजा मंदिर के पत्थरों पर अद्भुत कलाकृति हो रही है।
मंदिर के आसपास लगे पत्थरों पर नक्काशीदार मूर्तियां बनी हुई है। मंदिर के कई पत्थर टूटकर अलग हो गई है। ग्रामीणों ने बताया कि इसको लेकर सरकार को इस मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए सहायता करनी चाहिए, ताकि प्राचीन धरोहर को संजोकर रख सके।