संचार क्रांति और बेहतर परिवहन व्यवस्था ने भारतीय किसानों के जीवन में एक नया अध्याय जोड़ दिया है। कभी मंडियों में कम दाम मिलने से निराश रहने वाले किसान, अब स्मार्टफोन और इंटरनेट के जरिए देशभर की मंडियों से जुडक़र अपनी फसल का उचित मूल्य पाने में सफल हो रहे हैं।
बूंदी. संचार क्रांति और बेहतर परिवहन व्यवस्था ने भारतीय किसानों के जीवन में एक नया अध्याय जोड़ दिया है। कभी मंडियों में कम दाम मिलने से निराश रहने वाले किसान, अब स्मार्टफोन और इंटरनेट के जरिए देशभर की मंडियों से जुडक़र अपनी फसल का उचित मूल्य पाने में सफल हो रहे हैं। इस बदलाव की शानदार मिसाल है देहित गांव, जहां के किसान अपनी मेहनत को सही बाजार तक पहुंचाकर न केवल आत्मनिर्भर बन रहे हैं, बल्कि छोटे कारोबारी की तरह कुशल व्यापार भी कर रहे हैं।
इन दिनों देहित गांव में भिंडी का बंपर उत्पादन हो रहा है। परंपरागत रूप से जब फसल की अधिकता होती थी, तो स्थानीय मंडियों में भाव गिर जाते थे और किसानों को नुकसान उठाना पड़ता था, लेकिन अब तस्वीर बदल गई है। देहित गांव के किसान श्याम सैनी बताते हैं कि 20 मार्च 2025 से रोजाना तीन गाडिय़ां भिंडी लेकर दिल्ली की आजादपुर मंडी भेजी जा रही हैं। गाडिय़ां शाम 4:30 बजे गांव से रवाना होती हैं और रात 12 बजे आजादपुर मंडी पहुंचती हैं। वहां भिंडी की बिक्री औसत ?3151.15 प्रति क्विंटल के भाव से हो रही है। शनिवार को मंडी में भिंडी का न्यूनतम भाव 800 क्विंटल और अधिकतम 5200 क्विंटल रहा।
प्रतिदिन जा रही 65 क्विंटल
देहित गांव से करीब 65 क्विंटल भिंडी दिल्ली भेजी जा रही है। इसके अलावा पास के गुडली गांव से भी प्रतिदिन 50 ङ्क्षक्वटल ङ्क्षभडी दिल्ली पहुंच रही है। इस तरह लगातार एक माह तक हजारों क्विंटल भिंडी दिल्ली की मंडी में बेची जा रही है, जिससे न केवल किसानों को बेहतर आमदनी हो रही है, बल्कि उनकी आर्थिक स्थिति भी पहले से कहीं अधिक सु²ढ़ हो रही है।
अन्य किसानों के लिए बने प्रेरणास्रोत
श्याम सैनी कहते हैं, ‘‘आज स्मार्टफोन हमारे लिए खेती का सबसे बड़ा औजार बन गया है। अब हम देशभर की मंडियों के भाव जानकर अपनी फसल वहां बेचते हैं जहां हमें सबसे ज्यादा लाभ मिल सकता है। सडक़ और रेल कनेक्टिविटी ने काम को और आसान बना दिया है।’’ यह परिवर्तन न केवल किसानों को बेहतर आय दिला रहा है, बल्कि गांवों में कृषि आधारित लघु उद्योगों और ट्रांसपोर्ट सेवाओं के लिए भी नए अवसर पैदा कर रहा है। यह कहानी साबित करती है कि यदि किसानों को सही तकनीक और सुविधाएं मिल जाएं, तो वे खुद अपने विकास के रास्ते बना सकते हैं।देहित गांव की यह पहल अन्य ग्रामीण इलाकों के किसानों के लिए भी प्रेरणा स्रोत बन रही है।