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नियमों से आगे बढ़कर परिवार को आर्थिक राहत देने का किया अनुरोध

करंट से झुलसकर दोनों हाथ गंवा चुकी सात वर्षीय मासूम परी पांचाल की पीड़ा जनसुनवाई के दौरान सांसद दामोदर अग्रवाल को देखी नहीं गई। बाल्यकाल में ही दिव्यांग हो चुकी परी स्वयं मंच पर पहुंचकर जब अपनी व्यथा बताने लगी तो सांसद भावुक हो गए।

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परी की पीड़ा देख सांसद ने तुरंत मुख्यमंत्री से की बात

नैनवां। नगरपालिका में जनसुनवाई के दौरान मंच पर पहुंचकर सांसद को पीड़ा बताती मासूम

नैनवां. करंट से झुलसकर दोनों हाथ गंवा चुकी सात वर्षीय मासूम परी पांचाल की पीड़ा जनसुनवाई के दौरान सांसद दामोदर अग्रवाल को देखी नहीं गई। बाल्यकाल में ही दिव्यांग हो चुकी परी स्वयं मंच पर पहुंचकर जब अपनी व्यथा बताने लगी तो सांसद भावुक हो गए।

उन्होंने तत्काल प्रभारी मंत्री एवं ऊर्जा राज्यमंत्री हीरालाल नागर तथा मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से दूरभाष पर बात कर बालिका के परिवार को नियमों से भी आगे जाकर आर्थिक सहायता प्रदान करने का अनुरोध किया। सांसद ने पहले पूरे घटनाक्रम की जानकारी ली। कंधे के पास से दोनों हाथ कटे देखकर उन्होंने अधिकारियों से भी जवाब-तलब किया। उल्लेखनीय है कि घटना के बाद जेवीवीएनएल अधिकारियों द्वारा लिखित आश्वासन दिए जाने के बावजूद न तो अब तक बालिका को निगम की ओर से कोई आर्थिक सहायता मिली और न ही उपचार अथवा पुनर्वास की समुचित व्यवस्था की गई।

यह है पूरा मामला
घटना 17 अक्टूबर की है। शहर के ज्योति नगर क्षेत्र में मकानों के ऊपर से गुजर रही रामपुरिया फीडर की 11 केवी हाईटेंशन विद्युत लाइन की चपेट में आने से सात वर्षीय परी पांचाल बुरी तरह झुलस गई थी। गंभीर रूप से झुलसी बालिका को जयपुर के एक चिकित्सालय के बर्न वार्ड में भर्ती कराया गया, जहां जान बचाने के लिए चिकित्सकों को उसके कंधे के पास से दोनों हाथ काटने पड़े। इस दर्दनाक हादसे के बाद परी पूरी तरह दूसरों पर आश्रित हो गई है।

आंदोलन के बाद दिया था लिखित आश्वासन
घटना के विरोध में जनप्रतिनिधियों एवं नागरिकों ने हाईवे जाम कर प्रदर्शन किया था। मौके पर पहुंचे जेवीवीएनएल अधिकारियों ने लिखित में आश्वासन दिया था कि ज्योति नगर से गुजर रही 11 केवी लाइन को शिफ्ट करने का पूर्ण प्रकरण बनाकर उच्चाधिकारियों को भेजा जाएगा तथा मांग राशि जमा होने के 10 दिवस के भीतर लाइन शिङ्क्षफ्टग का कार्य शुरू किया जाएगा। साथ ही करंट से झुलसी बालिका के उपचार के लिए सीएमएचओ से समन्वय कर रिपोर्ट भेजने, जांच रिपोर्ट के आधार पर नियमानुसार आर्थिक मुआवजा देने तथा दोषी अधिकारी-कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की बात कही गई थी। मेडिकल विभाग द्वारा जारी दिव्यांगता प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने पर भी निगम द्वारा सहायता राशि स्वीकृत किए जाने का भरोसा दिया गया था, लेकिन अब तक इन वादों पर अमल नहीं हो सका।

जताई सख्त नाराजगी
सांसद ने कहा कि उन्होंने स्वयं बालिका की स्थिति देखी है। यह मामला अत्यंत संवेदनशील और मानवीय है। उन्होंने मुख्यमंत्री एवं प्रभारी मंत्री से आग्रह किया है कि नियमों की औपचारिकताओं से ऊपर उठकर मासूम परी के परिवार को तत्काल आर्थिक एवं पुनर्वास सहायता प्रदान की जाए।