जिले में पिछले दो माह में पांच दर्जन से अधिक स्थानों पर आग लगने की घटनाएं हुई है, इनमें से कई घटनाएं तो ऐसे जंगलों में हुई है, जहां दमकल का पहुंचना संभव नहीं है, फिर भी नगर परिषद के फायरमैन एवं चालकों की सूझाबूझ से आग पर काबू पाया गया है।
बूंदी. जिले में पिछले दो माह में पांच दर्जन से अधिक स्थानों पर आग लगने की घटनाएं हुई है, इनमें से कई घटनाएं तो ऐसे जंगलों में हुई है, जहां दमकल का पहुंचना संभव नहीं है, फिर भी नगर परिषद के फायरमैन एवं चालकों की सूझाबूझ से आग पर काबू पाया गया है। इसके बावजूद इन संसाधनों पर ना तो ध्यान दिया रहा है ना ही फायरमैन व दमकल चालकों को समय पर पगार दी जा रही है, जबकि इन्होंने अपनी तत्परता से करोड़ों रुपए का नुकसान होने से बचाया है।
नगर परिषद के बेडे के आंकड़ों में कुल आठ दमकल है, जिनमें से दो कंडम हो चुकी है। वर्तमान में शेष छह में से तीन चालू हालत में है, तीन खराब होने के कारण काम में नहीं आ रही है। ऐसे में कोई बड़ा घटनाक्रम होने पर कोटा का मुहं ताकना पड़ता है,जबकि गर्मी का दौर चल रहा है. आगजनी की घटनाएं सामने आती रहती हैं. इसके बावजूद नगर परिषद प्रशासन की ओर से इन खराब पड़ी दमकलों को दुरुस्त करवाने के कोई प्रयास नहीं करवाए जा रहे है।
चार हजार एवं 14 हजार लीटर क्षमता वाली दमकल का एक सप्ताह से प्रेशर पम्प खराब है एवं शहर तंग गलियों के लिए आवश्यक पांच सौ लीटर क्षमता वाली छोटी दमकल कण्डम हो चुकी है। इसके अलावा चार-चार हजार लीटर क्षमता वाली दो एवं पांच लीटर क्षमता वाली एक दमकल वर्तमान में चालू हालत में है।
पक्चर भी खूद की जेब से निकलवा रहे
नगर परिषद ने दमकल सहित अन्य वाहनों के टायरों में पक्चर निकलवाने के लिए ट्रक यूनियन के पास एक जने ठेका दिया हुआ था, जिसका भुगतान 9 माह से नहीं होने से उसने पक्चर निकालना बंद कर दिया। इसके बाद से फायरमैन व चालक स्वयं की जेब से राशि खर्च कर पक्चर निकलवाते है।
किसी ने नहीं सुनी पुकार
दमकल के फायरमैन व चालकों ने बताया कि कहीं भी आग लगने पर पुलिस कंट्रोल रूम पर सूचना आती है, वहां से सूचना मिलने पर तत्काल उस स्थान के लिए निकल पड़ते है, लेकिन उन्हें नौ माह से संवेदक द्वारा मानदेय नहीं दिया जा रहा है, वहीं संवेदक का कहना है कि उन्हें नगर परिषद की ओर से राशि नहीं दी जा रही है। राशि मिलने पर सबको मानदेय दे दिया जाएगा। आठ-आठ घंटे की शिफ्ट में काम करने वाले15 फायरमैन व 4 चालकों ने बताया कि पिछले नौ माह में सभापति, आयुक्त , एसडीएम, एडीएम एवं जिला कलक्टर को मानदेय नहीं मिलने के बारे में अवगत करा चुके है, लेकिन कहीं से भी राहत नहीं मिली।
फायरमैन कर रहे बाबू का काम
नगर परिषद में कर्मचारियों की कमी होने से फायरमैन से बाबू सहित अन्य पदों पर कार्य करवाया जा रहा है। जानकारी अनुसार दो दर्जन फायरमैन नगर परिषद में विभिन्न पदों पर कार्य कर रहे है, वहीं फायरमैन के पदों पर संवेदक के ठेकाकर्मी आग पर काबू पाने का कार्य कर रहे है।