बुधवार शाम करीब सवा सात बजे एक महिला पापड़ी स्थित मेज नदी के पुल पर जा रही थी, तभी उसे लाखेरी से कोटा की तरफ तेज गति से जाती हुई कार पुलिया के पिलर से टकराकर नदी में गिरती नजर आई।
बड़ाखेड़ा, लाखेरी. बुधवार शाम करीब सवा सात बजे एक महिला पापड़ी स्थित मेज नदी के पुल पर जा रही थी, तभी उसे लाखेरी से कोटा की तरफ तेज गति से जाती हुई कार पुलिया के पिलर से टकराकर नदी में गिरती नजर आई। गहरे पानी में कार डूबते देखकर उसने शोर मचाना शुरू किया।
उसकी चीख पुखार सुनकर नदी किनारे वाटर पंप पर ड्यूटी कर रहे कर्मचारी फोटूलाल गुर्जर, हरिशंकर मीणा, सांवरा मीणा बाहर निकले। उन्होंने आसपास के लोगों को हादसे की सूचना दी, लेकिन किसी को यह पता नहीं था कि नदी में कौन सी गाड़ी गिरी है। उसमें कितने लोग सवार है। नदी में गाड़ी गिरने की सूचना आसपास आग की तरफ फैल गई। बड़ी संया में लोग मेज नदी की पुलिया पर पहुंच गए। सूचना मिलने पर लाखेरी थानाधिकारी सुभाषचंद शर्मा जाब्ते के साथ मौके पर आ गए।
मछुआरों की नाव का सहारा लिया
मौके पर पहुंचे कुछ युवा नदी में कूद गए। उन्होंने पानी के अंदर जाकर गाड़ी को तलाशने की कोशिश की, लेकिन तेज बहाव और अधिक गहराई होने के कारण उन्हें कुछ नजर नहीं आया। आसपास रहने वाले मछुआरों की नाव को पानी में उतारकर रेस्क्यू शुरू किया गया। बांस से पानी के अंदर गाड़ी को ढूंढने की कोशिश की, लेकिन सफलता नहीं मिली। उस समय पुलिया और आसपास रोशनी भी नहीं थी। अंधेरे में सिर्फ हाथ-पांव ही मार रहे थे। मौके पर पहुंचे प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों ने जरनेटर मंगवाकर पुलिया से नदी की तरफ रोशनी की व्यवस्था की। इस दौरान तलाशी का कार्य रोक दिया गया।
सौ मीटर दूर गहराई में गाड़ी मिली
एसडीआरएफ के गोताखोर आशाराम के अनुसार पुलिया से करीब 100 मीटर गहरे पानी में कार उल्टी नजर आई। कार के अंदर ड्राइवर सीट पर एक जना बैठा हुआ था। यह देखकर वह वापिस ऊपर आया। वह क्रेन से बंधा हुआ रस्सा लेकर वापिस पानी के अंदर गया। उसने कार के अगले हिस्से को रस्से से बांधा। रस्से के सहारे कार को पुलिया के पास खींचकर लाया गया। इसके बाद कार को पानी से बाहर निकालकर पुलिया पर लाया गया। आशाराम के अनुसार पहली बार देर रात पानी के अंदर इस तरह का सर्च अभियान किया।
बीस मिनट तक किए प्रयास
पानी की गहराई और बहाव अधिक होने से गाडी तक पहुंचना आसान नहीं था। इसके बाद एसडीआरएफ का डीप डाइवर [गोताखोर] आशाराम आक्सीजन सिलेंडर लगाकर पानी में नीचे उतरा। करीब 20 मिनट बाद गाड़ी को रस्सों के सहारे बांधकर वह ऊपर आया। क्रेन से गाड़ी को खींचना शुरू किया, लेकिन रस्सा टूट गया। थोड़ी देर बाद वापस नए रस्से के सहारे गाड़ी को निकालने की कोशिश की गई। खासी मशक्कर के बाद बुधवार देर रात 2 बजे गाड़ी को नदी से बाहर निकाला जा सका।
खाना छोड़कर मौके पर भागे
एसडीआरएफ के टीम लीडर हनुमान ने बताया कि वह अपने अन्य साथियों के साथ बूंदी कलक्ट्रेट परिसर स्थित कन्ट्रोल रुम में खाना खा रहे थे। रात पौने आठ बजे मेज नदी में गाड़ी गिरने की सूचना पर सभी साथी खाना छोड़ कर मौके पर जाने के लिए तैयार हो गए। वे लोग बूंदी से रात दस बजे मौके पर पहुंचे और सर्च शुरू कर दिया।
रस्सी में बांधी चुंबक, कई बार चट्टान मिली
बूंदी से रात करीब दस बजे पर एसडीआरएफ की टीम मौके पर पहुंची। इस टीम ने मेज नदी में अपनी नाव उतारकर सर्च ऑपरेशन शुरू किया। पानी अधिक होने से नाव इधर उधर बह रही थी। गाड़ी को तलाशने के लिए एसडीआरएफ की टीम ने रस्सी में चुंबक बांधकर पानी की गहराई में फैंकते रहे। नदी में तेज बहाव व गहराई अधिक होने से पानी के चट्टानें भी गाड़ी की तरह लग रही थी। जहां पर बांस नीचे नहीं जाता, वहीं नाव को रोककर गोताखोर पानी में नीचे उतर जाते और तलाश करते, तब पता चलता कि वह तो चट्टान है। करीब तीन घंटे के बाद पुलिया के पिलर और वाटर पंप के बीच गहराई में चुंबक डालकर देखी तो लोहे का अहसास हुआ। यहां एसडीआरएफ का गोताखोर पानी में अंदर गया तो उसे कार नजर आई। कार नजर आने की जानकारी मिलते ही वहां मौजूद प्रशासन और पुलिस के अधिकारियों ने उसे निकालने की कवायद शुरू कर दी। मौके पर बड़ी क्रेन पहले से ही मंगवाकर रखी थी।