Bangladesh textile crisis benefits India: बांग्लादेश की राजनीतिक अस्थिरता भारत के कपड़ा बाजार के लिए अच्छी साबित हो सकती है। भारत के निर्यात में पहले से ही तेजी देखने को मिली है।
Bangladesh unrest impact on India: किसी भी देश की शांति और समृद्धि के लिए उसके पड़ोस में शांति जरूरी है। इस लिहाज से बांग्लादेश की उथल-पुथल भारत को परेशान कर सकती है। थोड़े से वक्त में बांग्लादेश दूसरी बार हिंसक दौर से गुजर रहा है। भारत पड़ोस के हालात पर बारीकी से नजर रखे हुए है। हालांकि, यदि कारोबार के नजरिए से देखें तो बांग्लादेश की अस्थिरता भारत के लिए कुछ हद तक अच्छी है। चलिए पूरे गणित को समझने की कोशिश करते हैं।
बाकी देशों की तरह भारत के बांग्लादेश से भी व्यापारिक रिश्ते हैं। भारत पड़ोसी को कपास, पेट्रोलियम उत्पाद, अनाज, रसायन, मशीनरी, वाहन, खाने का तेल, इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स आदि एक्सपर्ट करता है। जबकि बांग्लादेश से भारत को कपड़ा, फार्मास्यूटिकल उत्पाद और चमड़े के सामान मिलते हैं। यूनाइटेड नेशंस COMTRADE डेटा के अनुसार, वित्त वर्ष-24 में बांग्लादेश को भारत का निर्यात 11.32 अरब डॉलर का रहा था। अगर बांग्लादेश में हिंसा का दौर लंबा चलता है, तो आयात-निर्यात प्रभावित जरूर हो सकता है। लेकिन यह प्रभाव स्थायी नहीं होगा। क्योंकि अमूमन समय के साथ हालात सामान्य हो जाते हैं।
बांग्लादेश की उथल-पुथल उसे एक बड़ा नुकसान पहुंचा रही है और आने वाले दिनों में नुकसान का आंकड़ा काफी बड़ा हो सकता है। टेक्सटाइल एक्सपोर्ट में बांग्लादेश बड़ा खिलाड़ी है। चीन के बाद उसका दुनिया में दूसरा नंबर है। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेश ने पिछले साल 38.48 अरब डॉलर का निर्यात किया था। जबकि भारत का टेक्सटाइल एक्सपोर्ट 36.61 अरब डॉलर रहा। पहले नंबर पर चीन 301 अरब डॉलर के साथ रहा।
बांग्लादेश में एक बड़ा रेडीमेड गारमेंट (RMG) उद्योग स्थापित है, जो कुछ वक्त पहले तक सालाना 40-50 अरब डॉलर वार्षिक मूल्य का राजस्व उत्पन्न करता रहा है। पड़ोस में बने टी-शर्ट, शर्ट और ट्राउजर जैसे कपड़े वॉलमार्ट, ज़ारा और एचएंडएम जैसे अंतरराष्ट्रीय ब्रांडस के पसंदीदा हैं। अमेरिका और यूरोप बांग्लादेशी कपड़ों का बड़ा बाजार हैं। ऐसे में मुल्क के बिगड़ते हालात उसके नंबर 2 के ताज को नुकसान पहुंचा सकते हैं और भारत को आगे बढ़ने का एक मौका दे सकते हैं। बदलाव दिखाई भी देने लगा है। टेक्सटाइल मिनिस्ट्री के आंकड़े बताते हैं कि इस साल भारत के कपड़ा और परिधान निर्यात में तेजी आई है। हस्तशिल्प को मिलाकर यह निर्यात नवंबर 2025 में 285.58 करोड़ डॉलर का रहा। इसके साथ ही RMG एक्सपर्ट में भी उछाल दर्ज हुआ।
बांग्लादेश का कपड़ा कारोबार राजनीतिक उथल-पुथल के चलते पहले से ही दबाव में है। इसके अलावा, बिजली संकट ने भी देश की टेक्सटाइल सप्लाई चेन को प्रभावित किया है। बांग्लादेश के कपड़ों को पसंद करने वाले ग्लोबल ब्रांडस अब अधिक सुरक्षित विकल्पों का रुख कर रहे हैं और भारत भी उसमें शामिल है। अब ऐसे देश से भला वह कब तक व्यापारिक संबंध बनाए रख सकते हैं, जहां हालात कभी भी बेकाबू हो जाते हैं। बांग्लादेश के कुल निर्यात रेवेन्यू में टेक्सटाइल सेक्टर की हिस्सेदारी लगभग 80% है। ऐसे में पड़ोस की अशान्ति भारतीय टेक्सटाइल बाजार के लिए अच्छी है।
एक्स्पर्ट्स मानते हैं कि बांग्लादेश का संकट उसके लिए भारी पड़ सकता है। भारत के पास अच्छे कारीगर हैं, बढ़िया कच्चा माल है और समय पर ऑर्डर पूरे करने की प्रतिबद्धता। सबसे महत्वपूर्ण भारत में एक मजबूत सरकार और राजनीतिक उथल-पुथल की यहां कोई आशंका नहीं है। ऐसे में अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों के लिए भारत एक अच्छे विकल्प के तौर पर सामने आ सकता है। हां, अराजक माहौल से दोनों देशों के व्यापारिक रिश्ते प्रभावित हो सकते हैं, लेकिन समय के साथ व्यापार बहाल होने की संभावना हमेशा जीवित रहेगी। लेकिन एक बार अंतर्राष्ट्रीय कंपनियां बांग्लादेश का हाथ छोड़कर भारत के साथ आईं तो फिर उनके दूर जाने की संभावना नहीं होगी। इस लिहाज से पड़ोस की अशांति भारत के लिए अच्छी है।