सरकार ने लोकसभा के मॉनसून सत्र में इनकम टैक्स रिटर्न के कुछ आंकड़े जारी किए हैं।
देश के समृद्ध राज्यों में से एक गुजरात को एक मामले में बिहार ने पछाड़ दिया है। जी हां, इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) के ताजा आंकड़े गुजरात की समृद्ध राज्य की छवि के बिल्कुल उलट तस्वीर पेश करते हैं। लखपति करदाताओं के मामले में बिहार जैसे पिछड़े माने जाने वाले राज्य ने गुजरात को पीछे छोड़ दिया है। आंकड़ों के मुताबिक, 12 लाख रुपये से 50 लाख रुपये सालाना आय घोषित करने वाले करदाताओं का अनुपात गुजरात में इतना कम है कि वह बिहार से भी पीछे हैं। ये आंकड़े हाल में लोकसभा के मॉनसून सत्र में सरकार ने पेश किए हैं।
कर्नाटक में 20% से ज्यादा करदाता सालाना 12 लाख से 50 लाख रुपये की आय ITR में घोषित करते हैं, यानी हर 5वां आयकर दाता लखपति है। तेलंगाना, झारखंड और तमिलनाडु भी इस सूची में ऊपर हैं। दिल्ली और पुडुचेरी में भी लखपतियों का अनुपात काफी ऊपर है। दूसरी ओर, गुजरात सबसे निचले पायदान पर है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि गुजरात में बड़ी संख्या में लोग व्यापार और स्वरोजगार से जुड़े हैं। यहां नकद लेन-देन और टैक्स बचाने की प्रवृत्ति अधिक है, जिसके चलते घोषित आय कम दिखाई देती है। जबकि बिहार में प्रवासी मजदूर और सेवा क्षेत्र में काम करने वाले लोग ज्यादा हैं, जिनकी कमाई अपेक्षाकृत कम होने के बावजूद औपचारिक वेतनभोगी ढांचे में आती है। ऐसे लोग टैक्स रिटर्न नियमित तौर पर दाखिल करते हैं और उनकी घोषित आय साफ नजर आती है।
2024-25 के आकलन वर्ष के लिए दाखिल रिटर्न बताते हैं कि देश की इकोनॉकी की बैकबोन मध्यम वर्ग तबका अब भी संघर्षशील है। 60% से ज्यादा करदाता सालाना 7.5 लाख से कम कमाते हैं। वहीं, 25 लाख से ऊपर कमाने वालों की हिस्सेदारी सिर्फ 2.5% है। ऐसे में जब समृद्ध राज्यों की बात आती है तो उम्मीद रहती है कि गुजरात जैसे औद्योगिक राज्य शीर्ष सूची में दिखें। लेकिन सच्चाई उलट है।