Sector-wise FPI analysis: भारतीय बाजार में सक्रिय विदेशी निवेशकों ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है। उन्होंने कई बड़े सेक्टर से पैसा निकालकर दूसरे सेक्टर में लगाया है।
FPI investment: विदेशी निवेशक शेयर बाजार में कहां पैसा लगा रहे हैं, यह हर कोई जानना चाहता है। इसकी वजह भी है, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) भारतीय बाजार के लिए बूस्ट का काम करते हैं। ऐसे में वह जिस सेक्टर पर मेहरबान रहेंगे, उसके तेजी से उछाल मारने की संभावना बनी रहेगी। वैसे, इस साल FPI भारतीय बाजार में पैसा डालने से ज्यादा निकालते दिखे हैं। ऐसा तब है जब निफ्टी का इस साल अब तक का रिटर्न 9 प्रतिशत के आसपास रहा है।
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) ने भले ही इस साल निकासी ज्यादा की हो, लेकिन भारतीय बाजार पर उनका भरोसा कायम है। उन्होंने अपनी रणनीति में बदलाव किया है और एक सेक्टर से दूसरे में अपना पैसा घुमा रहे हैं। टेलीकॉम, सर्विसेज, यूटिलिटीज को FPI का सबसे ज्यादा प्यार मिला है। इन सेक्टर्स में उन्होंने काफी निवेश किया है। जबकि आईटी, FMCG और रियल एस्टेट जैसे इंटरेस्ट-रेट सेंसिटिव क्षेत्रों में उनका रुझान कम हुआ है।
इस साल जनवरी से लेकर अब तक विदेशी निवेशकों ने टेलीकम्युनिकेशन में सबसे ज्यादा निवेश किया है। एनडीटीवी प्रॉफिट की रिपोर्ट के अनुसार, टेलीकम्युनिकेशन में FPI निवेश 3,578 मिलियन डॉलर रहा है। कमाई की अच्छी संभावना, 5G मोनेटाइजेशन साइकिल में तेजी और इंफ्रास्ट्रक्चर-शेयरिंग मॉडल के चलते इस सेक्टर के प्रति विदेशी निवेशकों का आकर्षण बढ़ा है। इसके बाद सर्विसेज सेक्टर में FPI इनफ्लो सबसे ज्यादा रहा है। विदेशी निवेशकों ने 3,244 मिलियन डॉलर का निवेश किया है। विदेशी निवेशकों की तीसरी पसंद के तौर पर यूटिलिटीज सेक्टर सामने आया है। यहां FPI इनफ्लो 2,237 मिलियन रहा है।
केमिकल्स में विदेशी निवेशकों ने इस साल अब तक 710 मिलियन डॉलर का निवेश किया है। ऑयल एंड गैस में 671 मिलियन डॉलर और मेटल एवं माइनिंग में 179 मिलियन डॉलर का FPI इनफ्लो देखने को मिला है। इनके अलावा, विदेशी निवेशकों ने मीडिया एंड एंटरटेनमेंट और फाइनेंशियल सर्विसेज में भी थोड़ी दिलचस्पी दिखाई है।
अब उन सेक्टर्स के बारे में भी जान लेते हैं, जहां FPI निकासी अधिक देखी गई। आईटी में विदेशी निवेशकों की दिलचस्पी में कमी आई है। इस सेक्टर ने सबसे ज्यादा 8,716 मिलियन डॉलर का आउटफ्लो देखा है। यही वजह रही कि निफ्टी आईटी इंडेक्स इस साल 10% से अधिक नीचे आया है। इसके बाद FMCG सेक्टर से विदेशी निवेशकों ने 3,531 मिलियन डॉलर निकाले। हेल्थकेयर पर भी उनका विश्वास डगमगाया है। इस सेक्टर से FPI आउटफ्लो 2517 मिलियन डॉलर रहा। इसी तरह, कंज्यूमर सर्विसेज (-2262 मिलियन डॉलर), कंज्यूमर ड्यूरेबल्स (-1647 मिलियन डॉलर), रियल एस्टेट (-1238 मिलियन डॉलर) से भी विदेशी निवेशकों ने निकासी को प्राथमिकता दी है।
विदेशी निवेशकों के हाथ खींचने के चलते बाजार में इन सेक्टर का प्रदर्शन कमजोर रहा। निफ्टी FMCG इंडेक्स इस साल अब तक 4% से अधिक नीचे आ चुका है। जबकि Nifty Realty 16% से अधिक गिरावट का सामना कर रहा है। इससे पता चलता है कि विदेशी निवेशकों का भारतीय बाजार में बना रहना कितना जरूरी है। FPI जिन सेक्टर में पैसा लगाते हैं, उनके अच्छा प्रदर्शन करने की संभावना बढ़ जाती है। वहीं, जहां उनकी दिलचस्पी खत्म हो जाती है वहां इंडेक्स के ऊपर चढ़ने की रफ्तार प्रभावित होती है।