Indigo crisis news: संकट से गुजर रही इंडिगो का शेयर पिछले सत्र में लाल निशान पर बंद हुआ। यदि संकट जारी रहता है, तो स्टॉक में और नरमी आ सकती है।
देश की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो संकट में है। यह संकट उसकी लापरवाही का ही परिणाम बताया जा रहा है। इंडिगो फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन (FDTL) के प्रभाव को आंकने में भूल कर बैठी और हालात देखते ही देखते बेकाबू हो गए। इस संकट ने न केवल इंडिगो की छवि को प्रभावित किया है। बल्कि शेयर मार्केट में उसके प्रदर्शन को भी लाल निशान पर पहुंचा दिया है।
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इंडिगो को लेकर लोगों में गुस्सा है। यह गुस्सा यदि भविष्य में भी कायम रहता है, तो आसमान छूने वाली इंडिगो को दिन में तारे भी याद आ सकते हैं। भारत की सबसे बड़ी और बिजी एयरलाइंस इंडिगो की बैलेंसशीट बढ़ते घाटे की गवाही दे रही है। ऐसे में यात्रियों की नाराजगी, उसकी आर्थिक स्थिति के लिए नुकसानदायक साबित हो सकती है। मिंट की रिपोर्ट के अनुसार, वित्तवर्ष 2025-26 की जुलाई-सितंबर तिमाही में इंडिगो का नेट लॉस बढ़ा है। यह 161% बढ़कर 2582 करोड़ हो गया है। जबकि पिछले वित्त वर्ष की इसी तिमाही में यह आंकड़ा 987 करोड़ रुपए था।
एयरलाइंस के लिए राहत की बात यह है कि दूसरी तिमाही में उसके ऑपरेशन से रेवेन्यू में 9.3% की बढ़ोतरी हुई है और यह 18,555 करोड़ पहुंच गया है। एक साल पहले इसी अवधि में कंपनी ऑपरेशन से रेवेन्यू 16,969 करोड़ रुपए था। एयरलाइंस के दूसरी तिमाही के नतीजों पर बढ़ती फॉरेन एक्सचेंज लागत का काफी असर पड़ा। यह जुलाई-सितंबर तिमाही में बढ़कर 2892 करोड़ हो गई, जबकि एक साल पहले की इसी अवधि में यह 250 करोड़ थी। इस वजह से तिमाही में इंडिगो के कुल खर्च बढ़ गए, रेवेन्यू ग्रोथ सीमित हुई और शुद्ध घाटा बढ़ गया।
इंडिगो के पास भारत के एविएशन मार्केट का सबसे ज्यादा हिस्सा है। स्टेटिस्टा के अनुसार, सितंबर, 2025 तक भारत के एविएशन मार्केट में इंडिगो का मार्केट शेयर 63% था। टाटा समूह की एयर इंडिया का मार्केट शेयर 13.6% और एयर एक्सप्रेस का 6.3% था। इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (IATA) द्वारा जून में जारी आंकड़े बताते हैं कि इंडिगो सीट कैपेसिटी के हिसाब से भी भारत की सबसे बड़ी एयरलाइंस है। 2024 के आखिरी तक इसका मार्केट शेयर 53.4% था। इसके बाद एयर इंडिया 12.1%, एयर इंडिया एक्सप्रेस 8.6%, विस्तारा (अब एयर इंडिया का हिस्सा) 6.9% और स्पाइसजेट 3.5% का नंबर रहा।
इंडिगो के मार्केट कैप की बात करें, तो यह पिछले पांच सालों में 215% बढ़ा है। एयरलाइंस का मार्केट कैपिटलाइज़ेशन (M-Cap) 2.076 ट्रिलियन रुपए है, जो दिसंबर 2020 में 665.77 अरब रुपए था। इंडिगो का शेयर पिछले सत्र में गिरावट के साथ 5,367.50 रुपए पर बंद हुआ। बीते 5 सत्रों में यह 8.76% नीचे आया है, जो मौजूदा संकट का परिणाम है। हालांकि, इस साल अब तक (YTD) इस शेयर ने 16.79% का रिटर्न दिया है और बीते 5 सालों का आंकड़ा 207.63% है।
इंडिगो कॉस्ट सेविंग में विश्वास करती है। कंपनी यात्रियों को दी जाने वाली सुविधाओं में कटौती करके बेस किराये को दूसरों से कम रखने पर फोकस करती है। उदाहरण के तौर पर इंडिगो फ्लाइट में गर्म खाना नहीं परोसती। इससे हवाई जहाज में फूड हीटर की जरूरत खत्म हो जाती है। वहीं, एयर इंडिया जैसे फुल-सर्विस कैरियर फ्लाइट टिकट की कीमत में ही गर्म खाना देते हैं।
देश की सबसे बड़ी एयरलाइंस इंडिगो पर आए संकट ने लोगों को जेट एयरवेज और किंगफिशर की याद दिला दी है। ये दोनों एयरलाइंस अब इतिहास बन चुकी हैं, लेकिन एक जमाने में इतनी तूती बोलती थी। सोशल मीडिया पर लोगों का कहना है कि इन दोनों एयर ऑपरेटर्स का ऑन-टाइम परफ़ॉर्मेंस रेट काफी बेहतर था। दोनों यात्री सुरक्षा और आराम पर ज्यादा ध्यान देते थे। इंडिगो से नाराज लोगों का यह भी मानना है कि अब भारतीय आकाश में कुछ और विकल्प भी होने चाहिए।