Personal Loan Tips: कभी भी लाइफस्टाइल खर्चों के लिए या शेयर मार्केट में इन्वेस्ट करने के लिए पर्सनल लोन नहीं लेना चाहिए। यह आपको कर्ज के जाल में फंसा सकता है।
Personal Loan Tips: आजकल बैंक आसानी से पर्सनल लोन ऑफर करते हैं। सैलरी एवरेज होने पर भी वेतनभोगी कर्मचारी को इंस्टेंट लोन मिल सकता है। पैसा सीधे अकाउंट में ट्रांसफर हो जाता है। लेकिन ध्यान रखें कि पर्सनल लोन काफी ज्यादा ब्याज दर वाला एक महंगा लोन होता है। अगर आपका क्रेडिट स्कोर अच्छा है, तो आपको थोड़ी कम ब्याज दर पर पर्सनल लोन मिल जाएगा। वहीं, आपका क्रेडिट स्कोर सही नहीं है, तो पर्सनल लोन पर अधिक ब्याज दर ऑफर होगी। ध्यान रखें कि पर्सनल लोन के साथ प्रोसेसिंग फीस, डॉक्यूमेंटेशन चार्ज और प्रीपेमेंट पेनल्टी जैसे खर्च भी आते हैं। आइए जानते हैं कि ग्राहको को कब पर्सनल लोन लेना चाहिए और कब नहीं।
मेडिकल इमरजेंसी: जब तत्काल धन की जरूरत हो और दूसरा विकल्प न हो।
घर की मरम्मत: छत टपकना या अन्य अर्जेंट रिपेयर की जरूरत आने पर (संभव हो तो कंस्ट्रक्शन लोन लें)
अचानक पैसों की जरूरत: तुरंत पैसों की नीड होने पर भी आप पर्सनल लोन ले सकते हैं। लेकिन देख लें कि आपकी EMI चुकाने की कैपेसिटी है या नहीं।
-लाइफस्टाइल खर्चों के लिए: जैसे गैजेट्स खरीदना, घूमना, शॉपिंग या शादी।
-जब कहीं और से पैसा जुटाना संभव हो।
-अगर क्रेडिट स्कोर कम है, तो ब्याज दर बहुत ज्यादा होगी। ऐसे में पर्सनल लोन से बचें।
-कभी भी शेयर मार्केट में इन्वेस्ट करने के लिए पर्सनल लोन न लें।
-फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स मानते हैं कि पर्सनल लोन आखिरी विकल्प होना चाहिए।
-अगर आपके पास इमरजेंसी फंड है, तो संकट के समय लोन लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
-लोन लेने से पहले एग्रीमेंट को ध्यान से पढ़ें।
क्रेडिट स्कोर: 720 या उससे ज्यादा स्कोर पर कम ब्याज दर मिल सकती है।
इनकम स्टेबिलिटी: वेतनभोगी या टैक्स भरने वाले को आसानी से लोन मिलता है।
डेट-टू-इनकम रेश्यो: अगर आपकी कुल EMI सैलरी के 50% से ऊपर है, तो नया लोन मिलना मुश्किल होगा।
रिपेमेंट नियम: लोन जल्दी चुकाने पर बैंक पेनल्टी ले सकते हैं।
प्रोसेसिंग फीस: यह लोन अमाउंट का 1% से 3% तक हो सकती है।