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RBI के नए गवर्नर संजय मल्होत्रा से ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद, अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने पर रहेगा फोकस

RBI Governor: आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा अपने पहले मौद्रिक नीति निर्णय में ब्याज दरों में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती कर सकते हैं, जिससे रेपो रेट 6.25% हो जाएगा। आइए जानते है पूरी खबर।

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Feb 06, 2025

RBI Governor: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के नए गवर्नर संजय मल्होत्रा अपने पहले मौद्रिक नीति निर्णय में ब्याज दरों में कटौती कर सकते हैं। यह कदम ऐसे समय में उठाया जा सकता है जब अंतरास्ट्रीय आर्थिक अनिश्चितताओं के बीच भारत में विकास को गति देने की आवश्यकता है। मल्होत्रा, जिन्होंने दिसंबर मध्य में आरबीआई प्रमुख का पद संभाला था, अपने पूर्ववर्ती शक्तिकांत दास की सख्त मौद्रिक नीति के मुकाबले एक नरम रुख अपना सकते हैं। दास ने महंगाई को 4% के लक्ष्य पर बनाए रखने के लिए बीते दो वर्षों से ब्याज दरों को अपरिवर्तित रखा था।

25 बेसिस पॉइंट की कटौती संभव (RBI Governor)

ब्लूमबर्ग के अनुसार, अधिकांश अर्थशास्त्री इस बार आरबीआई (RBI) द्वारा रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट (bps) की कटौती की उम्मीद कर रहे हैं, जिससे यह दर 6.25% पर आ जाएगी। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि मल्होत्रा 50 बेसिस पॉइंट की कटौती कर सकते हैं, जिससे बाजार को एक बड़ा संकेत मिलेगा कि केंद्रीय बैंक आर्थिक विकास को प्राथमिकता देने के लिए तैयार है।

नई मौद्रिक नीति समिति के साथ पहली बैठक

मल्होत्रा की अगुआई में छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (MPC) की पहली बैठक होने जा रही है। समिति में कई नए सदस्य शामिल हुए हैं, जिनमें तीन बाहरी सदस्य अक्टूबर में नियुक्त हुए थे। वहीं, डिप्टी गवर्नर एम. राजेश्वर राव अस्थायी रूप से समिति में माइकल पात्रा की जगह ले रहे हैं, जो पिछले महीने सेवानिवृत्त हुए।

रुपये पर नियंत्रण में बदलाव संभव

मल्होत्रा की नीति को लेकर अभी तक कोई सार्वजनिक बयान सामने नहीं आया है, जिससे उनकी मुद्रा और मुद्रास्फीति पर राय को लेकर स्पष्टता नहीं है। हालांकि, आरबीआई (RBI) के आंतरिक सूत्रों का कहना है कि वह रुपये को लेकर दास की तुलना में अधिक उदार रुख अपना सकते हैं। इसका मतलब यह हो सकता है कि आरबीआई रुपये की उतार-चढ़ाव को नियंत्रित करने के लिए कम हस्तक्षेप करेगा, जिससे भारतीय मुद्रा वैश्विक बाजार में अपने समकक्षों की तुलना में अधिक स्वतंत्र रूप से ट्रेड कर सकेगी। शक्तिकांत दास के नेतृत्व में आरबीआई ने रुपये को एक निश्चित दायरे में बनाए रखने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार को मजबूत किया था, जो 700 अरब डॉलर यानी 58.1 लाख करोड़ रुपये से अधिक पहुंच गया था। लेकिन मल्होत्रा के कार्यभार संभालने के बाद रुपये में अधिक अस्थिरता देखी गई है और यह डॉलर के मुकाबले 3% तक गिर चुका है।

आर्थिक सुस्ती और वैश्विक घटनाओं का असर

हाल के आर्थिक आंकड़ों से पता चला है कि भारत की अर्थव्यवस्था अनुमान से अधिक धीमी हो गई है, जिससे आरबीआई (RBI) पर ब्याज दरों में कटौती का दबाव बढ़ा है। वहीं, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नई व्यापार नीतियां और संभावित टैरिफ बढ़ोतरी के संकेत भी वैश्विक बाजारों को प्रभावित कर रहे हैं। पिछले हफ्ते पेश हुए केंद्रीय बजट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार ने कर कटौती के रूप में 12 अरब डॉलर का राहत पैकेज दिया था, जिससे बाजार में तरलता बढ़ेगी। ऐसे में यदि आरबीआई ब्याज दरों में कटौती करता है, तो यह आर्थिक विकास को समर्थन देने में अहम भूमिका निभाएगा।

नीति का प्रभाव और आगे की राह

विश्लेषकों का मानना है कि आरबीआई इस बार मौद्रिक नीति के रुख को 'न्यूट्रल' से बदलकर 'समायोजित' (Accommodative) कर सकता है, जिससे भविष्य में और दर कटौती के संकेत मिल सकते हैं। बार्कलेज पीएलसी की प्रमुख भारतीय अर्थशास्त्री आस्था गुडवानी के अनुसार, "यदि वैश्विक वित्तीय परिस्थितियों में ज्यादा गिरावट नहीं आती है, तो आरबीआई आगे भी धीरे-धीरे दरों में कटौती जारी रख सकता है। हालांकि, कुछ विश्लेषकों का मानना है कि यह कटौती सीमित होगी। डीबीएस ग्रुप होल्डिंग्स के तैमूर बैग का कहना है कि मौद्रिक नीति में बदलाव छोटा होगा, जबकि जेपी मॉर्गन चेस एंड कंपनी के डॉ साजिद जेड चिनॉय का मानना है कि यदि वैश्विक परिस्थितियां स्थिर रहती हैं, तो आरबीआई (RBI) धीरे-धीरे दरों में और कटौती कर सकता है।

मुद्रास्फीति और वित्तीय स्थिरता पर नजर

RBI के इस फैसले से बाजार में बड़ी हलचल देखने को मिल सकती है। निवेशक इस पर खास नजर रखेंगे कि मल्होत्रा मुद्रास्फीति को 4% के लक्ष्य पर बनाए रखने के लिए कितने प्रतिबद्ध रहते हैं। यदि आरबीआई (RBI) विकास को प्राथमिकता देते हुए ब्याज दरों में कटौती करता है, तो यह वित्तीय स्थिरता के लिए एक नई दिशा तय कर सकता है। मल्होत्रा शुक्रवार को सुबह 10 बजे मुंबई में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान इस फैसले की घोषणा करेंगे। उनके भाषण और प्रेस वार्ता के दौरान निवेशक यह देखने के लिए उत्सुक रहेंगे कि वह अपनी नीतियों को किस दिशा में ले जाना चाहते हैं और उनके नेतृत्व में आरबीआई का अगला कदम क्या होगा।

Updated on:
06 Feb 2025 12:02 pm
Published on:
06 Feb 2025 11:58 am
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