Success Story: विभांशु मिश्रा की कहानी संघर्षों से भरी हुई है। उनकी कंपनी VVM Restaurant Consultants है। वे चालू चाइनीज ब्रांड नेम से साथ बिजनेस कर रहे हैं।
अपनी नाकामी का ठीकरा हालातों पर फोड़ने वालों को कभी उनकी मंजिल नहीं मिलती, बल्कि उन्हें मिलती है, जो विपरीत से विपरीत परिस्थितियों में बस डटे रहें। एक ऐसे ही शख्स की कहानी आपको बताने जा रहे हैं, जिसने अपनी मां का आखिरी सपना पूरा करने के लिए हर संघर्ष गले लगाया, लेकिन रुका नहीं। पढ़ाई-लिखाई में बेहद औसत इस लड़के ने आखिरकार वो कामयाबी हासिल कर ली, जिसने उसके पिता को भी गले लगाने को मजबूर कर दिया।
इस लड़के का नाम है विभांशु मिश्रा, जिसके पिता एक स्कूल के वाइस प्रिंसिपल थे। जैसा कि होता है, विभांशु से भी उम्मीद की जाती कि वो पढ़ाई लिखाई में अच्छा होगा, लेकिन वो शुरू से ही एक औसत छात्र थे, जिसकी वजह से उनके पिता और उनमें ज्यादा करीबी रिश्ता नहीं था। लेकिन विभांशु अपनी मां के बेहद करीब और लाडले थे।
विभांशु जब 9 साल के थे, तो उनके पड़ोस में रहने वाला लड़का होटल मैनेजमेंट करके साउथ अफ्रीका शिफ्ट हो गया। विभांशु को भी लगा कि उसे भी कुछ ऐसा ही करना चाहिए। उनकी मां ने जब कहा कि उसे भी होटल मैनेजमेंट करना चाहिए, ये बात विभांशु के दिलो-दिमाग में हमेशा के लिए बैठ गई।
27 फरवरी, 2006 को विभांशु की मां का देहांत हो गया, तब वो 12वीं में पढ़ रहे थे। अपनी मां को खोकर वो बुरी तरह हिल चुके थे, इसलिए 12वीं में फेल हो गए। बाद में सप्लीमेंटरी एग्जाम से पास हुए वो भी सिर्फ 42% मार्क्स के साथ। मां के चले जाने के बाद भी विभांशु होटल मैनेजमेंट वाली बात भूले नहीं थे। मां का सपना पूरा करने के लिए उन्होंने होटल मैनेजमेंट कोर्स में दाखिला ले लिया।
विभांशु को जैसे अपने जीवन का लक्ष्य मिल चुका था। होटल मैनेजमेंट के पहले साल में उन्होंने 94.2% के साथ टॉप किया। छुट्टियों के दौरान वोकेशनल ट्रेनिंग प्लेसमेंट के लिए ITC दार्जिलिंग भेजे गए। ये विभांशु के लिए बहुत बड़ा दिन था, सुबह अच्छी तरह से तैयार होकर वो होटल पहुंचे, तो उनके हाथ में एक डस्टर थमा दिया गया और कहा गया कि जाकर टॉयलेट साफ करो। पहले तो उन्हें यकीन नहीं हुआ, लेकिन पूरे महीने उनसे यही काम करवाया गया और स्टाइपेंड के तौर पर 500 रुपये दिए गए। नाराज होने या नौकरी छोड़ने की बजाय वो डटे रहे, महीने के अंत में उन्होंने अपने जनरल मैनेजर के पैर छुए और धन्यवाद दिया। इस कड़वे अनुभव ने विभांशु को हॉस्पिटैलिटी सेक्टर की पहली बड़ी सीख दी थी।
ग्रेजुएशन करने के बाद विभांशु ने नागपुर के प्राइड होटल में नौकरी की, लेकिन उनकी मां का सपना था कि वो देश के बाहर जाकर काम करें। इसलिए जब उनके एक दोस्त ने बहरीन में एक छोटी-मोटी नौकरी के लिए बुलाया तो वो तुरंत चले गए, ये जॉब एक वेटर की थी। शाकाहारी होने के बावजूद वो ग्राहकों को नॉनवेज सर्व करते, लेकिन हिम्मत नहीं हारी। कुछ समय के बाद उन्हें प्रमोशन भी मिला। इसके बाद विभांशु रुके नहीं। दुबई, अमेरिका और कनाडा में जाकर काम किया। चार साल उन्होंने एक बड़ी कॉफी चेन में बिताए और काफी कुछ सीखा।
सबकुछ ठीक ही चल रहा था कि तभी उनके पास एक कॉल आती है कि उनके पिता को कैंसर हो गया है, तुरंत लौट आओ। विभांशु भारत लौटकर आते हैं। पिता के इलाज का इंतजाम करते हैं। सर्जरी के बाद, उनके बेसुध पिता ने उनका हाथ थाम लिया और कहा, "तुम मेरे छोटे बेटे हो, तुम कहीं मत जाओ, तुम रहो मेरे पास। पिता की इस बात से विभांशु बहुत भावुक हो गए, उन्होंने वापस विदेश न जाने का फैसला किया और गोवा में ही एक नौकरी कर ली। इसके बाद उन्होंने एक बड़े फूड एंड बेवरेज ब्रांड में सीनियर जनरल मैनेजर के तौर पर ज्वाइन किया।
विभांशु के मन में ये ख्याल आया कि अब वक्त आ गया है कि अपना कुछ किया जाए। दूसरों के लिए काम करते एक अरसा हो चुका था। इसलिए उन्होंने इस्तीफा दिया। 14 फरवरी 2020 को VVM Restaurant Consultants नाम से अपनी कंपनी को रजिस्टर्ड किया और अपना ब्रांड लॉन्च किया। नाम रखा - चालू चाइनीज। इसका पहला आउटलेट नागपुर में 10 मार्च, 2020 को खोला।
लेकिन एक बार फिर विभांशु की किस्मत ने उनका साथ नहीं दिया, कोविड की वजह से पूरे देश में लॉकडाउन लग गया, कई महीनों तक एक पैसे की कमाई नहीं हुई। फिर भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी, जुलाई 2020 को फिर से उन्होंने काम शुरू किया, धीरे-धीरे गाड़ी पटरी पर लौटने लगी, उन्होंने दूसरा आउटलेट भोपाल में खोला, फिर रायपुर और भरूच में भी। वो बिजनेस से हुए मुनाफे को बिजनेस में ही लगा रहे थे, जुलाई 2021 तक उनके सिर पर 1.5 करोड़ रुपये का कर्ज चढ़ चुका था। बिक्री बढ़ाने के लिए उन्होंने चीजों के दाम कम किए, जो काम कर गई।
जुलाई से लेकर दिसंबर 2021 तक उन्होंने 13 आउटलेट खोले, इसके बाद तो वो रुके ही नहीं, भारत में उनके 250 से ज्यादा आउटलेट हो चुके हैं। उन्होंने एक और ब्रांड VV Burger को भी शुरू किया, जिससे कुल टर्नओवर करोड़ों रुपये में चला गया।
अपनी मां की याद में उन्होंने बनारस में बनारस वाला नाम से एक ब्रांड लॉन्च किया, उसका उद्घाटन उन्होंने अपने पिता के हाथों से करवाया तो पिता ने भावुक होकर विभांशु को गले लगा लिया, तब विभांशु ने कहा - मेरा सफर यहां पूरा हुआ।