Europe Office Timings: यूरोप में काम करने वाली भारतीय सीए ने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो शेयर की है, जो काफी वायरल हो रही है। वीडियो में दिखाया जा रहा है कि 5 बजे बाद पूरे ऑफिस में कोई नहीं है।
कोविड के बाद से ही ऑफिस कल्चर को लेकर समय-समय पर बहस छिड़ती रहती है। चाहे वह वर्क लाइफ बैलेंस का मुद्दा हो, हफ्ते में 70 घंटे काम का मुद्दा हो या ऑफिस से टाइम से निकलने की बात हो। जेन-जी की वर्कफोर्स में एंट्री के बाद से यह बहस आम हो गई है। लोग वर्क लाइफ बैलेंस चाहते हैं और ऑफिस टाइमिंग के बाद काम करना पसंद नहीं करते। अब यूरोप से एक वीडियो आई है, जो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है।
एक चार्टर्ड अकाउंटेंट भारतीय महिला ने यूरोप में अपनी वर्क लाइफ की एक झलक इंस्टाग्राम वीडियो के माध्यम से शेयर की है, जो वायरल हो गयी है। KPMG नीदरलैंड्स में काम करने वाली ज्योति सैनी ने एक वीडियो पोस्ट किया है। इस वीडियो में उन्होंने दिखाया कि वर्किंग आवर्स के बाद ऑफिस कैसा दिखता है। वीडियो में वह कहती हैं, 'अभी शाम के 5:10 बजे हैं और देखिए मेरा ऑफिस।' इसके बाद वह कैमरा घुमाकर खाली डेस्क और कुर्सियां दिखाती हैं। वह बताती हैं कि शाम के 5 बजे के बाद ऑफिस में कोई भी सहकर्मी मौजूद नहीं है। पूरा ऑफिस खाली है। वीडियो के कैप्शन में उन्होंने लिखा है- कॉरपोरेट शॉक।
सैनी के इस वीडियो ने सोशल मीडिया पर यूरोप और भारत के वर्क कल्चर को लेकर बहस छेड़ दी है। कई यूजर्स ने यूरोपीय वर्क कल्चर की तुलना भारत के लंबे वर्किंग आवर्स और लेट नाइट ऑफिस रूटीन से की।
एक यूजर ने लिखा, 'मुख्य बात है वर्क एथिक्स। पश्चिमी देशों में ज्यादातर लोग अपना दिन जल्दी शुरू करते हैं, बिना ज्यादा कैजुअल ब्रेक लिए। वे मेहनत से काम करते हैं। कभी अकेले या डेस्क पर ही खाना खाते हैं, अपना काम खत्म करते हैं और समय पर घर चले जाते हैं।' दूसरे यूजर ने सहमति जताते हुए कहा, 'वे आमतौर पर सुबह 8 बजे से काम शुरू करते हैं और लगातार फोकस्ड रहते हैं। यह अपने आप में 8 घंटे का बेहतर और बिना रुकावट वाला काम होता है।'
हालांकि, कुछ लोगों ने मजाक में कहा कि अगर ऐसे ऑफिसों में भारतीय मैनेजर्स आ गए, तो हालात बिल्कुल अलग होंगे। कुल मिलाकर यूजर्स का यही कहना था कि ऐसा वर्क कल्चर हर जगह होना चाहिए। यूरोपीय वर्क कल्चर की खासियत यह है कि यहां लोग वर्किंग आवर्स में मन लगाकर काम करते हैं और समय पर घर निकल जाते हैं। यहां वर्क लाइफ बैलेंस को काफी अहमियत दी जाती है।