छतरपुर

कागजों पर 127 गोशालाएं, जमीन पर 90 प्रतिशत बंद,35 हजार आवारा गोवंश से जूझ रहे जिले के शहर

चाहे खजुराहो हाइवे हो, नौगांव रोड, सागर रोड या महोबा रोड, हर जगह झुंड बैठे रहते हैं। यातायात रुकता है, सडक़ हादसे होते हैं और लोग प्रशासन को कोसते नजर आते हैं।

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Oct 07, 2025
सडक़ पर आवारा मवेशियों का झुंड

प्रशासन का दावा 127 गोशालाएं संचालित हो रहीं, हकीकत में 90 प्रतिशत बंद पड़ी, 35 हजार से अधिक मवेशी सड़कों पर घूम रहेछतरपुर. छतरपुर जिले की सडक़ों पर शाम ढलते ही गोवंश के झुंड का कब्ज़ा हो जाता है। चाहे खजुराहो हाइवे हो, नौगांव रोड, सागर रोड या महोबा रोड, हर जगह झुंड बैठे रहते हैं। यातायात रुकता है, सडक़ हादसे होते हैं और लोग प्रशासन को कोसते नजर आते हैं। जिला प्रशासन दावा करता है कि यहां 127 गोशालाएं संचालित हैं, लेकिन हकीकत यह है कि 90 फीसदी गोशालाएं केवल कागजों पर दर्ज हैं।

15 नगरीय निकाय में एक भी स्थायी गोशाला नहीं

जिले की 15 नगरीय निकायों में से किसी भी शहर में स्थायी गोशाला का निर्माण अब तक नहीं हुआ है। यह स्थिति तब है जबकि अगस्त 2025 में ही कलेक्टर पार्थ जैसवाल ने आदेश जारी किए थे कि हर निकाय अपने क्षेत्र से आवारा मवेशियों को गोशालाओं में शिफ्ट करे। नगरपालिकाओं ने मवेशियों को पकडकऱ कुछ दिनों के लिए बाहर खदेडऩा शुरू भी किया, लेकिन कुछ ही दिनों में वही झुंड वापस लौट आते हैं।

नौगांव : आधी जमीन पर खेती, गोवंश बाहर

नौगांव नगर सीमा पर एकमात्र बुंदेलखंड गोशाला संचालित है। इसे समिति चलाती है। यहां पहले से क्षमता से अधिक मवेशी हैं। स्थानीय लोगों का आरोप है कि गोशाला की आधी जमीन पर खेती हो रही है, अगर यही जगह गोवंश के लिए उपयोग हो तो दर्जनों झुंड यहां शिफ्ट हो सकते हैं। बुंदेलखंड गोशाला समिति के संचालक का कहना है कि क्षमता से दोगुने मवेशी पहले से हैं। नई एंट्री लेने से गोवंश की देखरेख और चारे की समस्या बढ़ जाएगी।

सडक़ें बनी गोशाला, हादसे बढ़े

छतरपुर शहर में सागर रोड, महोबा रोड, नौगांव रोड, वाडों और बस स्टैंड क्षेत्र में रोजाना झुंड बैठ जाते हैं। रात में अचानक सामने आने वाले मवेशी हादसों की बड़ी वजह बन रहे हैं। जिला अस्पताल की इमरजेंसी में दर्जनों केस ऐसे आते हैं जिनमें लोग दोपहिया से गिरकर घायल होते हैं।

जिम्मेदारी से बचते पशुपालक

लोगों का आरोप है कि दूध न देने वाली और बूढ़ी गाय-बैलों को पशुपालक खुद खुले में छोड़ देते हैं। जब तक गाय दूध देती है, तब तक घर की शान होती है। उसके बाद बोझ मानकर सडक़ पर छोड़ दिया जाता है। लवकुशनगर में लॉ कॉलेज के छात्र-छात्राओं ने बीते दिन मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा। उन्होंने कहा कि यदि दस दिन के भीतर गोशाला निर्माण शुरू नहीं हुआ तो वे आंदोलन करेंगे और आवारा गोवंश को नगर परिषद कार्यालय में छोड़ देंगे।

सटई : पास में जगह नहीं, 5 किमी दूर गोशाला

सटई नगर के बस स्टैंड, तहसील परिसर, भाजपा कार्यालय और बिजावर रोड पर झुंड आम दृश्य हैं। यहां की निकटतम गोशाला गांव में है, जो नगर से 5 किमी दूर है। लोग वर्षों से मांग कर रहे हैं कि नगर सीमा के भीतर गोशाला बने।

आंकड़ों का खेल

जिले में कुल गोवंश- 190166

आवारा मवेशी- 35000

प्रशासन के अनुसार बनाई गई गोशालाएं- 163

वर्तमान में संचालित- 127 (ज्यादातर कागजों पर)

निजी संस्थाओं की गोशालाएं- 9

कुल क्षमता- 22000 मवेशी

आवारा बचे- 13 हजार से अधिक

प्रशासन का दावा बनाम जमीनी हकीकत

पीओ डूडा साजिदा कुरैशी का कहना है कि नगरीय निकाय कर्मचारियों के माध्यम से आवारा गोवंश को पकडकऱ गोशालाओं में शिफ्ट किया जा रहा है।

Published on:
07 Oct 2025 10:40 am
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