छतरपुर

बारिश के मौसम में बढ़ जाते हैं सर्पदंश के मामले, झाडफूंक में समय गंवाने पर बन आती है जान पर

सांप के काटने पर लोग जहर से कम, घबराहट और डर से ज़्यादा मरते हैं। उन्होंने साफ-साफ कहा है कि झाड़-फूंक जैसी गैर-विज्ञान आधारित प्रक्रियाओं में समय गंवाना खतरनाक है।

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Jun 29, 2025
जिला अस्पताल

बारिश शुरू होते ही सर्पदंश के मामले तेज़ी से बढऩे लगे हैं। जिला अस्पताल में रोजाना चार-पांच मरीज पहुंच रहे हैं, तो कभी एक दिन में ही छह से ज्यादा मामलें देखने को मिल रहे हैं। खासकर बारिश के बिलों में पानी भर जाने और बिलों से निकलकर सुरक्षित स्थान तलाशते सांपों के घरों में आने की घटनाओं में वृद्धि हुई है। ऐसे में इलाज न करवाकर अंधविश्वास में झाफंूक करवाने वाले जान गंवा रहे हैं। जिले में हर साल जहरीले कीड़े व सर्पदंश से औसतन 60 से 70 लोगों की जान जा रही है।

300 प्रजातियों में केवल 25 फीसदी ही जहरीले

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. आरपी गुप्ता कहते हैं कि सांप के काटने पर लोग जहर से कम, घबराहट और डर से ज़्यादा मरते हैं। उन्होंने साफ-साफ कहा है कि झाड़-फूंक जैसी गैर-विज्ञान आधारित प्रक्रियाओं में समय गंवाना खतरनाक है। तुरंत नज़दीकी सरकारी अस्पताल जाएं जहां एमबीबीएस डॉक्टर हों, घबराएं नहीं, मानसिक रूप से मजबूत रहे। वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. लखन तिवारी बताते हैं कि दुनिया भर में सांपों की 3 हजार के करीब प्रजातियां हैं। इसमें से 725 प्रजातियां विषैली हैं। इन 725 विषैली प्रजातियों के सांपों में भी 250 प्रजातियों के सांप ऐसे होते हैं, जिनके डसने से व्यक्ति की कुछ ही देर में मौत हो सकती है। भारत में करीब 300 प्रजातियों के सांप पाए जाते हैं। इनमें करीब 25 प्रतिशत सांप ही हैं, जो विषैले होते हैं।

इलाज कराया तो बची जान

ग्राम जमुनिया में तीन वर्षीय बच्ची रूही तिवारी को सर्प ने डस लिया। घटना तब हुई जब बच्ची अपने घर के आंगन में खेल रही थी, तभी अनजाने में उसका पैर एक सांप पर पड़ गया। सांप ने तत्काल उसे डस लिया। परिजनों ने बिना समय गंवाए बच्ची को निजी वाहन से छतरपुर जिला अस्पताल पहुंचाया, जहां डॉक्टरों द्वारा उसे पीआईसीयू वार्ड में भर्ती कर लिया गया है। समय से इलाज होने से बच्ची की जान बच गई। वहीं, देवपुर गांव में गुरुवार की रात करीब 2 बजे देवपुर निवासी दिनेश लोधी की बेटी रितिका को सांप ने काट लिया। परिजन उसे स्थानीय डॉक्टर और फिर बगाज माता के पास ले गए, लेकिन रितिका ने दम तोड़ दिया।

घर में सुरक्षा के उपाय

सांपों को घर में प्रवेश न करने देने के लिए सभी खुले स्थान दरारें, सीढिय़ां, नालियां बंद कर दें। दीवारों के किनारे लकड़ी, पत्थर और कूड़े-कचरे का ढेर न होने दें क्योंकि ये छिपने के आदर्श स्थान हैं। शाम या रात के समय अंधेरे में जाने से बचें, टॉर्च साथ रखें। फर्श पर सोने से बचें और बिस्तर के नीचे से चादर न लटकाएं। यदि सांप काटे तो बिना घबराहट 108 एम्बुलेंस बुलाएं और अस्पताल रवाना हों।

सर्पदंश का शिकार होने पर ये करें

सांप का काटना, रात के समय या अंधेरे में फर्श पर सोते समय अक्सर होता है। काटे जाने पर पहले पीडि़त को हिलने से रोकना चाहिए, डसे हुए अंग को स्थिर रखें और साबुन-पानी से साफ करें। तुरंत एम्बुलेंस तक पहुंचाएं, अस्पताल में भर्ती कराएं, जहां टिटनस इंजेक्शन और एंटी वेनम तुरंत उपलब्ध हो। छतरपुर के सभी अस्पताल में आवश्यक वैक्सीन और वेंटिलेटर सुविधाएं मौजूद हैं।

बुंदेलखंड में चार प्रजाति से सर्पदंश का खतरा ज्यादा

बुंदेलखंड में बारिश के सीजऩ में सर्पदंश के मामले मानसून सीजन में दोगुने हो जाते हैं, और चार प्रमुख सांप करैत, इंडियन कोबरा, रसेल वाइपर और स्केल्ड वाइपर 90 फीसदी मामलों के जिम्मेदार होते हैं। भारत में सर्पदंश के सालाना अनुमानित 58000 मौतों में से मानसून में लगभग आधी होती हैं । इनमें 97 फीसदी प्रभावित ग्रामीण इलाकों में होते हैं और बुंदेलखंड वहां शामिल है जहां ये संभावनाएं और अधिक होती हैं ।

चिकित्सा रिपोर्ट और अनदेखी

एक अध्ययन में यह भी सामने आया कि बुंदेलखंड जैसे क्षेत्रों के ग्रामीण अधिकतर झाड़-फूंक, जस्थानी इलाज और देरी के कारण समय रहते इलाज नहीं पाते, जिससे 67 फीसदी मामलों में स्थिति बिगड़ती है । सर्पदंश में समय पर इलाज और मानवीय सेवा ही बेहतर परिणाम सुनिश्चित करती है।

सुरक्षा, उपचार और जागरूकता—तीन स्तंभ

बारिश के मौसम में जहां सांप प्राकृतिक आवासों को छोडकऱ लोगों के करीब आते हैं, वहीं हमारी तैयारी ही जान बचाने का जरिया है। घर और आसपास साफ-सफाई रखें, अंधेरे में सावधानी बरतें। कोई काटे तो झाड़-फूंक न करें, सीधे अस्पताल जाएं। परिवार और पंचायत स्तर पर जागरूकता अभियान चलाएं, ताकि ग्रामीणों को समय से इलाज मिले और जानें बचें। बारिश का मौसम जितना सुखद है, उतना ही सावधानी जरूरी होता है। सर्पदंश जैसी प्राकृतिक घटनाओं के बीच सही समझ, त्वरित इलाज और सतर्कता ही रक्षा की पहली और अंतिम रक्षा दीवार बनती है।

Published on:
29 Jun 2025 10:02 am
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