योजना की शुरुआत वर्ष 2016 में की गई थी, लेकिन निर्माण कार्य में ठेकेदार की लापरवाही और घटिया सामग्री के उपयोग के चलते यह योजना न केवल तय समय से पीछे रह गई, बल्कि आज तक अधूरी है।
नगर पालिका का गौरैया रोड पर प्रधानमंत्री अफोर्डेबल हाउसिंग स्कीम के तहत तैयार किया गया मल्टी स्टोरी बिल्डिंग प्रोजेक्ट लोगों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतर सका है। गरीब और मध्यम वर्ग के लिए शुरू की गई इस महत्वाकांक्षी योजना में नगर पालिका द्वारा कुल 32.60 करोड़ रुपए खर्च किए गए, लेकिन योजना की जमीनी हकीकत बेहद चिंताजनक है। कुल 288 फ्लैटों में से अब तक केवल 65 ही बुक हो पाए हैं और शेष 223 फ्लैट पूरी तरह खाली पड़े हैं। योजना की शुरुआत वर्ष 2016 में की गई थी, लेकिन निर्माण कार्य में ठेकेदार की लापरवाही और घटिया सामग्री के उपयोग के चलते यह योजना न केवल तय समय से पीछे रह गई, बल्कि आज तक अधूरी है।
गौरैया रोड पर बनाए गए इस प्रोजेक्ट में कुल 19 ब्लॉकों में तीन श्रेणियों ईडब्ल्यूएस, एलआईजी और एमआईजी के फ्लैट बनाए गए। ईडब्ल्यूएस के 72 फ्लैट बनाए गए, जिनकी कीमत शासन की सब्सिडी के बाद मात्र ढाई लाख रुपए थी, इसलिए इनकी बुकिंग सबसे पहले हो गई थी। लेकिन निर्माण में देरी और घटिया सामग्री के चलते केवल 45 लोगों ने ही रजिस्ट्री कराई। कई लाभार्थियों ने अपनी बुकिंग की राशि वापस ले ली। एलआईजी श्रेणी में 60 फ्लैट बनाए गए जिनकी कीमत लगभग 14 लाख रुपए है, जबकि एमआईजी श्रेणी में 96 फ्लैट तैयार किए गए, जिनकी कीमत 22.50 लाख रुपए तक है। इनमें से एमआईजी के सिर्फ 20 फ्लैट ही अब तक बुक हो पाए हैं। एलआईजी के एक भी फ्लैट की बुकिंग नहीं हुई है।
फ्लैटों के भीतर की स्थिति यह है कि अधिकांश हितग्राही खुद से पैसा खर्च करके मरम्मत और फिनिशिंग का काम करा रहे हैं। गेट, खिडक़ी, बिजली फिटिंग से लेकर फर्श तक की गुणवत्ता बेहद खराब है। वहीं योजना के तहत बनाए गए चेंबर, नालियां, पेवर ब्लॉक आदि भी या तो अधूरे हैं या फिर टूटने लगे हैं। पानी निकासी की उचित व्यवस्था नहीं है और चेंबर निर्माण के नाम पर केवल दिखावा किया गया है। कई जगह पानी भराव और सीवर जाम की समस्या उत्पन्न हो रही है।
ईडब्ल्यूएस के तहत 72 फ्लैटों की लॉटरी प्रक्रिया पांच वर्ष पूर्व कर दी गई थी। शुरुआत में करीब 200 लोगों ने फ्लैट खरीदने के लिए आवेदन किया था लेकिन निर्माण में देरी के कारण कई लाभार्थियों ने राशि वापस ले ली। अब तक केवल 45 फ्लैट की ही रजिस्ट्री हो सकी है, जबकि 27 फ्लैट आज भी बिना आवंटन के खाली पड़े हैं। नगर पालिका द्वारा इन फ्लैटों की दोबारा लॉटरी प्रक्रिया तक नहीं की गई है।
एलआईजी श्रेणी के टू-बीएचके फ्लैट शहर के बीचों-बीच बनाए गए हैं, लेकिन इनकी गुणवत्ता और लोकेशन को लेकर लोगों में असंतोष है। 25 हजार रुपए की बुकिंग फीस निर्धारित की गई है, लेकिन अभी तक एक भी व्यक्ति ने एलआईजी फ्लैट बुक नहीं किया है। इस योजना को लोकप्रिय बनाने और फ्लैटों की बिक्री बढ़ाने के लिए नगर पालिका ने प्रचार-प्रसार पर लाखों रुपए खर्च किए हैं।
नगर पालिका के एई देवेंद्र धाकड़ का कहना है कि अधिकतर कार्य पूर्ण हो चुके हैं और जो भी छोटे-मोटे कार्य बाकी हैं, उन्हें ठेकेदार के माध्यम से पूरा कराया जा रहा है। साथ ही, फ्लैटों की बिक्री को बढ़ावा देने के लिए 10 से 15 प्रतिशत तक की छूट भी दी जा रही है। प्रचार अभियान भी लगातार जारी है, जिससे शेष फ्लैटों की बुकिंग की जा सके।