बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देने वाले विजयादशमी पर्व शनिवार को जिले भर में धूमधाम से मनाया गया। विजयादशमी के मौके पर जिले के नौगांव और छतरपुर में रावण के पुतला दहन का बड़ा आयोजन किया गया।
छतरपुर. बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देने वाले विजयादशमी पर्व शनिवार को जिले भर में धूमधाम से मनाया गया। विजयादशमी के मौके पर जिले के नौगांव और छतरपुर में रावण के पुतला दहन का बड़ा आयोजन किया गया। शनिवार की रात छतरपुर के बाबूराम स्टेडियम में बुराई के प्रतीक रावण का राम ने वध कर दिया। आकर्षक लाइटों से जगमगाता हुआ उत्कृष्ट विद्यालय का खेल मैदान, जहां पर शहर के लोग रावण दहन देखने के लिए उमड़़े और अपने-अपने मोबाइलों में सेल्फी कैद की। भगवान श्रीराम और रावण का युद्ध देखकर भगवान श्रीराम के जयकारे गूंजने लगे।
51 फिट के रावण के पुतले को 150 मीटर दूर से वाण चलाकर जलाया गया। वाण चलाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक मशीनरी का उपयोग किया, जिससे कि वाण सीधे पुतले के सीने में जा लगा और धू-धू कर रावण का पुतला जलने लगा। खेल मैदान में भारी जनसमूह इस कार्यक्रम को देखने के लिए उमड़ा था। प्रभु श्रीराम ने अहंकारी दशानन रावण के पुतले की नाभि में जैसे ही अग्नि बाण मारा, वैसे ही वह धरती पर गिर पड़ा। रामचरित मानस की चौपाई- ‘डोली भूमि गिरत दसकंधर, सुबित सिंधु सर दिग्गज भू धर’ सजीव हो उठी, उसके बाद रावण के पुतले में आग लग गई, तो वह धू-धू कर जल उठा। आतिशबाजी शुरू हो गई। जिसकी गूंज दूर तक सुनाई दी।
51 फीट का रावण बनाया गया। रावण के पुतले में पैरों के जूतों की हाइट ढ़ाई फिट, दोनों पैर 13-13 फीट के, पेट 11फीट की हाइट वाला और 12 फीट चौड़ा था। 12 फीट चौड़ा और 12 फीट लंबा सीना। ढ़ाई फीट की गर्दन और ढ़ाई फिट का मुकुट बनाया गया था। इसको बनाने में 140 मीटर कपड़े का इस्तेमाल किया गया। इस में आग लगते ही आतिशबाजी शुरू हुई। मात्र 1 मिनट में रावण का पुतला खाक में मिल गया। साथ ही मेघनाथ और कुंभकरण के पुतले भी जल गए।