MP News- ग्रामीण अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाएं सुधारने भेजे गए 40 बॉन्डेड डॉक्टर आदेश के बाद भी ज्वाइन नहीं कर रहे। कई अवकाश लेकर चले गए, जिससे स्वास्थ्य व्यवस्थाएं फिर चरमराने लगीं। (bonded doctors missing)
MP News- स्वास्थ्य विभाग (Health Department) ने प्रदेश भर में दूरस्थ व ग्रामीण क्षेत्र के अस्पतालों में 2053 बॉन्डेड डॉक्टरों की नियुक्ति कर स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने का प्रयास किया है, लेकिन इस महत्वाकांक्षी कार्य को यह डॉक्टर पलीता लगा रहे हैं। जिले को 40 डॉक्टर मिले हैं जिन्हें प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सिविल अस्पताल में पदस्थ किए जाने हैं। स्वास्थ्य विभाग ने बॉन्ड के तहत सभी सरकारी व निजी मेडिकल कॉलेजों से एमबीबीएस व पीजी कर निकले डॉक्टरों को दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों में पदस्थ करने आदेश जारी किया है। (bonded doctors missing)
छिंदवाड़ा जिले में 10 डॉक्टरों में से कुछ डॉक्टरों ने ज्वाइन किया, इसके बाद वह अवकाश तथा पीजी करने चले गए। जिसके बाद विभाग ने इन्हें नोटिस जारी किया तो कुछ डॉक्टरों ने ज्वाइन किया। डॉक्टर के ज्वाइन नहीं करने से ग्रामीण क्षेत्रों में पहले जैसी स्थिति बनने लगी है। विभाग ने इन डॉक्टरों को 30 अगस्त तक का अंतिम समय देते हुए पदस्थापना वाले स्थान पर ज्वाइन करने आदेश दिया है।
डॉक्टरों की कमी दूर करने के उद्देश्य से विभाग ने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तथा सिविल अस्पताल में डॉक्टर पदस्थ किए गए है। वर्तमान में जिले में 60 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थापना के बाद भी कई स्थान जैसे पाथरी, कुंडा, रामपुर, पांजरा, हिरदागढ़, मारुड़, बाघवर्दिया, देलाखारी, चावलपानी में डॉक्टर नहीं है, यहां पर स्वास्थ्य व्यवस्था नर्सिंग स्टॉफ के भरोसे रहती है।
डॉक्टरों की सबसे ज्यादा कमी अमरवाड़ा, हर्रई जैसे दूरस्थ आदिवासी अंचल में बनी हुई है। जितने पद स्वीकृत हैं उससे आधे पद वर्तमान में नहीं भरे हए हैं। हर्रई ब्लॉक की बात करें तो 26 डॉक्टरों के पदों में से सिर्फ OS डॉक्टर कार्यरत हैं। अमरवाड़ा ब्लॉक में भी 24 में से 21 पद रिक्त हैं। ब्लॉक मुख्यालय पर डॉक्टर तो मिल जाते हैं, लेकिन दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों के स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर नहीं होने पर व्यवस्थाएं बिगड़ती है।
सभी जगह है विशेषज्ञ की कमी जिले के शासकीय अस्पतालों में स्पेशलिस्ट डॉक्टरों के पद स्वीकृत हैं, लेकिन पद रिक्त पड़े हुए हैं। कहीं पर शिशु रोग, नेत्र रोग, मेडिकल ऑफिसर, स्त्री रोग विशेषज्ञ, सर्जिकल विशेषज्ञ तथा अन्य की कमी बनी हुई है। डॉक्टर की कमी होने पर मरीजों को जिला मुख्यालय के अस्पताल भेजा जाता है या फिर मरीज प्राइवेट अस्पताल में पहुंचकर उपचार कराता है। कहने के लिए कई अस्पतालों में डिलेवरी पाइंट बनाए गए हैं, लेकिन विशेषज्ञ ही नहीं है तो उपचार कैसे संभव होगा। (bonded doctors missing)
भारी सीएमएचओ डॉ. नरेश गुन्नाड़े ने बताया कि जिन डॉक्टरों की पदस्थापना जिले के पीएससी सेंटरों में हुई थी, जिनमें से कई ज्वाइन कर अवकाश तथा पीजी करने चले गए थे। उन्हें 31 अगस्त तक ज्वाइन करना है। जिन स्थानों पर डॉक्टरों की कमी है वहां के लिए शासन को पत्र लिखा जाएगा।