छिंदवाड़ा

नरवाई जलाने वाले किसानों पर एफआइआर के साथ 15 हजार रुपए तक जुर्माना

कलेक्टर ने जारी किया प्रतिबंधात्मक आदेश, फसल अवशेष जलाने पर वसूला जाएगा पर्यावरण क्षति शुल्क

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खेतों में नरवाई (फसल अवशेष) जलाने की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। प्रशासन द्वारा एफआइआर दर्ज किए जाने और चेतावनियों के बावजूद किसान नरवाई जलाना जारी रखे हुए हैं। जिले में 5 मार्च से 13 अप्रेल तक नरवाई जलाने के 326 मामले सामने आए हैं। इसे देखते हुए कलेक्टर शीलेंद्र सिंह ने एक बार फिर सख्त रुख अपनाते हुए नया प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किया है। अब नरवाई जलाने की हर घटना पर एफआइआर के साथ-साथ संबंधित किसान पर अधिकतम 15 हजार रुपए तक का पर्यावरण क्षतिपूर्ति जुर्माना भी लगाया जाएगा।

कलेक्टर के आदेश के अनुसार, फसल कटाई के बाद खेतों में नरवाई जलाने की घटनाओं को नियंत्रित करने के लिए भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 163 के तहत प्रतिबंधात्मक आदेश लागू किया गया है। इस आदेश का उल्लंघन भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 223 के तहत दंडनीय अपराध माना जाएगा। आदेश में उल्लेख किया गया है कि किसान खेत की सफाई और अगली फसल की तैयारी के लिए नरवाई में आग लगाते हैं, जिससे गंभीर पर्यावरणीय दुष्परिणाम सामने आ रहे हैं। जिले में लगातार नरवाई जलाने की घटनाएं सामने आ रही हैं, जो शासन के दिशा-निर्देशों और जनहित के खिलाफ हैं। अब यदि कोई व्यक्ति या संस्था इस आदेश का उल्लंघन करती है, तो उसे पर्यावरण क्षति पूर्ति शुल्क के रूप में आर्थिक दंड देना होगा।

नरवाई जलाने पर किसानों पर लगाया जाएगा जुर्माना

  1. एसे कृषक जिनके पास 2 एकड़ से कम जमीन है, उन्हें 2500 रुपए प्रति घटना पर्यावरण क्षति पूर्ति अर्थदण्ड देय होगा।
  2. ऐसे कृषक जिनके पास 2 एकड़ से अधिक एवं 5 एकड़ से कम जमीन है, उन्हें 5000 रुपए प्रति घटना पर्यावरण क्षतिपूर्ति अर्थदण्ड देय होगा।
  3. ऐसे कृषक जिनके पास 5 एकड़ से अधिक जमीन है उन्हें 15000 रुपए प्रति घटना पर्यावरण क्षति पूर्ति अर्थदण्ड देय होगा।

नरवाई जलाने की बजाय बनाई खाद

जिले के कुछ प्रगतिशील किसानों ने पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी दिखाते हुए नरवाई जलाने के बजाय उसे खाद में बदलकर एक मिसाल कायम की है। इन किसानों ने सुपर सीडर मशीन का उपयोग करते हुए नरवाई का उचित प्रबंधन किया और ग्रीष्मकालीन मूंग की खेती कर लाखों रुपए का लाभ कमाया। कृषि विभाग की प्रेरणा से इन किसानों ने जीरो टिलेज पद्धति अपनाई, जिससे ना केवल पर्यावरण को नुकसान से बचाया, बल्कि समय और लागत की भी बचत हुई। नरवाई प्रबंधन की इस सराहनीय पहल में कृषक प्रदीप चौरसिया और चांद के प्रवेश रघुवंशी अग्रणी रहे। प्रवेश रघुवंशी ने गेहूं की नरवाई का सुपर सीडर से निस्तारण कर उसमें मूंग की फसल बोई। उत्कृष्ट कार्य के लिए उन्हें इस वर्ष गणतंत्र दिवस समारोह में सम्मानित भी किया गया। इसी तरह ग्राम सोनापिपरी के राघवेन्द्र रघुवंशी और चेतन रघुवंशी ने भी सुपर सीडर से नरवाई प्रबंधन करते हुए मूंग की सफल खेती की। ग्राम सलैया के संजीव रघुवंशी ने धान की कटाई के बाद जीरो टिलेज पद्धति अपनाकर नरवाई का बेहतर प्रबंधन किया। वहीं ग्राम बोरिया के किसान सेवक यादव ने भी इस तकनीक से मूंग की खेती शुरू की है।

Published on:
16 Apr 2025 06:59 pm
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