सत्ता से लेकर प्रशासनिक गलियारों में ट्रांसफर की सुगबुगाहट, शुरू हो जाएंगे स्थानांतरण के आवेदन
जिले में 15 से 20 साल से एक ही सीट पर जमे अंगदी अधिकारी-कर्मचारियों के तबादले हो पाएंगे या फिर जुगाड़ से उनकी कुर्सी हमेशा की तरह कायम रहेगी। प्रदेश सरकार की ट्रांसफर नीति घोषित होते ही सत्ता से लेकर प्रशासनिक गलियारों में सुगबुगाहट शुरू हो गई है। सामान्य तौर पर कई विभागों में तबादलों के आवेदन शुरू हो जाएंगे। 30 मई के बाद इन आवेदनों के आधार पर तबादला सूची जारी होगी।
देखा जाए तो एक ही कुर्सी पर जमे अधिकारी-कर्मचारी शिक्षा, राजस्व, आदिम जाति कल्याण, वन, विद्युत मण्डल, स्वास्थ्य, नगरीय प्रशासन, उच्च शिक्षा, जल संसाधन, पीएचई, कृषि व पंचायत में देखने को मिल जाएंगे। सामान्य तौर पर सरकारी सेवा में तीन साल बाद तबादले का नियम है, लेकिन जुगाड़ की राजनीति से यह नियम हवा हो गए हैं। केवल क्लास वन और टू के अधिकारियों को ही एक जिले से दूसरे जिले में ट्रांसफर किया जाता है, शेष कर्मचारियों की पोस्टिंग में उन्हें कोई हिला भी नहीं पाता। नेतागिरी और साम-दाम-दण्ड-भेद की नीति उन्हें 15 से 20 साल तक टिकाए रख रही है। सरकार किसी की भी हो, अंगदी कर्मचारी अपनी सीट सुरक्षित रख ही लेते हैं।
छह साल का इतिहास देखें तो कमलनाथ सरकार की ओर से वर्ष 2019 में थोक बंद तबादले किए गए थे। उसके तीन साल बाद 2022 में शिवराज सरकार ने तबादले की नीति घोषित की। उसके तीन साल बाद डॉ.मोहन यादव सरकार ने ट्रांसफर नीति जारी की। इसमें स्पष्ट रूप से प्रभारी मंत्री के अधिकारिक अधिकार का जिक्र नहीं किया गया है। ये तबादले 31 मई तक करने की छूट दी गई है। इस बार भी व्यापक पैमाने पर स्थानांतरण होंगे। केवल उन्हीं के होंगे जिनके पास सत्ता की नजदीकी या जुगाड़ नहीं है।
स्वास्थ्य, विद्युत मण्डल, राजस्व, उच्च शिक्षा समेत कुछ विभाग ऐसे हैं, जहां अधिकारी-कर्मचारियों की सेवा 20 से 30 वर्ष तक एक ही सीट में हो गई है। उन्होंने जहां से सेवा शुरू की थी, वहीं उनके रिटायरमेंट की उम्र आ गई है। उनके तबादलों के प्रस्ताव आए तो वे जुगाड़ के बल पर बच निकले। जिले में ऐसे कर्मचारियों की संख्या एक हजार से ज्यादा होगी।
मुख्यमंत्री ने पीडब्ल्यूडी मंत्री राकेश सिंह को जब से प्रभारी मंत्री बनाया गया है ,केवल दो बार ही छिंदवाड़ा आए हैं। प्रशासनिक गलियारों में कहा जा रहा है कि मई के आखिर में प्रभारी मंत्री के पास तबादला सूची लेकर भोपाल जाना पड़ सकता है। उनके दस्तखत हो पाएंगे या नहीं, यह स्पष्ट नहीं किया गया है।
कैबिनेट ने राज्य एवं जिला स्तर पर अधिकारियों/कर्मचारियों की स्थानांतरण नीति वर्ष 2025 की स्वीकृति दी है। इस नीति में एक मई से 30 मई तक की अवधि के लिए स्थानांतरण पर प्रतिबंध शिथिल किया गया है। प्रत्येक पद/संवर्ग में वर्ष में प्रशासनिक एवं स्वैच्छिक (प्रतिबंध अवधि एवं प्रतिबंध शिथिलीकरण अवधि को मिलाकर) स्थानांतरण निर्धारित संख्या तक किए जा सकेंगे। पद/संवर्ग की संख्या 200 तक 20 प्रतिशत, 201 से 1000 तक 15 प्रतिशत, 1001 से 2000 तक 10 प्रतिशत, 2001 से अधिक 5 प्रतिशत के आधार पर स्थानांतरण किए जाएंगे। ई-ऑफिस के माध्यम से स्थानांतरण होंगे। विभाग अपने स्तर पर भी नीति बना सकता है।