चित्तौड़गढ़

Chittorgarh: अरावली की गोद में छिपा आस्था का अद्भुत केंद्र: केलझर शिवधाम, जानें अद्भुत शिवधाम की अनूठी गाथा

चमत्कारी जल कुंडों से लेकर चट्टानों से स्वत: प्रकट हुए शिवलिंग तक, केलझर महादेव हर उस आत्मा को शांति और विश्वास प्रदान करते हैं, जो सच्चे मन से उनकी शरण में आती है।

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चित्तौड़गढ़ स्थित अद्भुद केलझर शिवधाम, पत्रिका फोटो

चित्तौड़गढ़ के बस्सी कस्बे में अरावली की हरी-भरी वादियों के बीच, प्रकृति की शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा का संगम है प्राचीन केलझर शिवधाम। यह केवल एक मंदिर नहीं, बल्कि आस्था, चमत्कार और पौराणिक कथाओं से लिपटा एक ऐसा पवित्र स्थल है, जहां सदियों से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती आई हैं। चमत्कारी जल कुंडों से लेकर चट्टानों से स्वत: प्रकट हुए शिवलिंग तक, केलझर महादेव हर उस आत्मा को शांति और विश्वास प्रदान करते हैं, जो सच्चे मन से उनकी शरण में आती है।

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चमत्कारी कुंड और नरसिंहदास महाराज की कहानी

केलझर शिवधाम में स्थित पानी के कुंड भी अपनी चमत्कारी कहानियों के लिए जाने जाते हैं। करीब 60 सालो पहले यहां नरसिंहदास महाराज सेवा करते थे, जिनकी समाधि कुंड के समीप बनी हुई है। एक प्रचलित कथा के अनुसार, एक धार्मिक अनुष्ठान के दौरान घी कम पड़ने पर महाराज ने शिष्यों से कुंड से पानी लाने को कहा। आश्चर्यजनक रूप से, वह पानी घी में बदल गया, जिससे मालपुए बनाए गए। यह घटना आज भी स्थानीय लोगों के बीच जीवंत है। मंदिर के ऊपर दो और नीचे तीन कुंड हैं, जिनमें वर्षभर पानी भरा रहता है

शिवलिंग और नंदी स्थापित नहीं, स्वत: प्रकट

जिला मुख्यालय से करीब 18 किलोमीटर और घटियावली गांव से तीन किलोमीटर दूर नेतावलगढ़ पाछली ग्राम पंचायत में यह शिव मंदिर एक पहाड़ी के नीचे बना हुआ है। सदियों पहले यह स्थान ऋषि-मुनियों की तपस्या स्थली रहा है, जिसके निशान आज भी यहां की गुफाओं में मौजूद हैं। एकांत और प्राकृतिक शांति इसे ध्यान और साधना के लिए उपयुक्त बनाती थी।

केलझर महादेव मंदिर की सबसे अनूठी विशेषता यह है कि यहां शिवलिंग और नंदी को स्थापित नहीं किया गया है, बल्कि वे चट्टानों से स्वत: प्रकट हुए हैं। यह श्रद्धालुओं के लिए एक गहन आस्था का विषय है। निसंतान दंपति संतान प्राप्ति की कामना लेकर यहां आते हैं और ऐसी मान्यता है कि सच्चे मन से मांगी गई हर इच्छा यहां पूरी होती है।

विकास और आस्था का बढ़ता क्रम

इस पवित्र स्थल को 1995 में देवस्थान विभाग उदयपुर द्वारा श्री केलझर महादेव सार्वजनिक प्रन्यास ट्रस्ट के नाम से पंजीकृत किया गया, और यह देवस्थान विभाग के प्राचीन मंदिरों में 13वें स्थान पर है। वर्तमान में ट्रस्ट के अध्यक्ष भंवर सिंह राणावत हैं। सावन महीने में यहां विशेष अभिषेक, हवन और पूजा का आयोजन होता है, वहीं महाशिवरात्रि पर भजन संध्या सहित कई कार्यक्रम होते हैं, जिनमें आसपास के गांवों से सैकड़ों भक्त भाग लेते हैं। बारिश के मौसम में पहाड़ों से गिरने वाला झरना और हरियाली अमावस्या पर उमड़ने वाली श्रद्धालुओं की भीड़ इस स्थान की दिव्यता को और बढ़ा देती है।

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Updated on:
28 Jul 2025 11:33 am
Published on:
28 Jul 2025 11:32 am
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